ग़ज़ल – आज तुम्हें एक रीत सुनाते है !

चलो आज तुम्हें एक ‘रीत’ सुनाते हैधक -२ धड़कनों की ‘प्रीत’ सुनाते है, क़लम से स्याही का क्या है रिश्ताशब्दों से बुना सुंदर ‘गीत’ सुनाते हैं, जो अब तक हुआ तेरे-मेरे बीच मेंवो बीते कल का ‘अतीत’ सुनाते हैंं, खास नहीं जोड़ा...

ग़ज़ल – ऐ खुदा जहां में ये कैसी आतिश लगी है !

ऐ-खुदा जहां में ये कैसी आतिश लगी है,मक़ाम हासिल की गज़ब ‘काविश’ लगी है ! देख वो अंधी शौहरत दुब गया उसमे मैं,फिर भी और ज्यादा की ‘कशिश’ लगी है ! भूल बैठा इंसानियत के तौर तरीको को,क्योकि मन में अपनों से ‘रंजिश’ लगी है ! अब नहीं है...