भोर का तारा – नरेन्द्र मोदी !

महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !!

उपन्यास अंश :-

तहलका मचा था कि मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी जेल मैं अमित शाह से मिलाने गए थे ! 

मेरे मन मैं एक टीस उठी थी . अमित को जेल से छुडाने के मेरे प्रयत्न बार-बार विफल हो रहे थे ….फिसल रहे थे ! 

“जांच न हो पाएगी , श्रीमान !” जज के सामने पुलिस अधिकारी एक ही रट लगाते . बेल न देने का इस से अच्छा बहाना और क्या होता ? “अमित शाह इतने जुझारू हैं ….इतने तिकड़म बाज़ हैं ….इतने सुलझे हुए हैं …कि …सारे का सारा खेल बिगाड़ देंगे ! अगर ये जेल से बाहर हो गए ….तो ….” पुलिस अधिकारी खुले आम कहते . 

“मेरी चिंता मत करो, भाई जी !” अनित ने एक बारीक मुस्कान के साथ मुझ से कहा था . उसे मेरी सुरक्षा का भान था ….एहसास था …! वह जानता था कि में किस कदर हैरान और परेशान था …? में पहली बार ही जुडीसिअरी के नियम-कानूनों के कसे शिकंजे को तोड़ नहीं पा रहा था ! और में चाह कर भी अमित को जेल से बाहर निकालने का रास्ता खोज न पा रहा था . “आप …अब अपने आप को बचाओ !” अमित ने मुझे चेतावनी दी थी . 

“२१ पुलिस अधिकारी …२७ एन जी ओज ….और ३६ नेताओं का दल  …मुझे घेरने के लिए नियुक्त हुआ है !” मैंने धीमे स्वर मैं अमित को सूचना दी थी . “जो चाहो ….सो करो ! जैसे चाहो ….वैसे करो ….! पर इसे जेल मैं करो ….भरो इसे जेल मैं ….!!” इन के लिए आदेश हैं . इन्हें पूर्ण समर्थन प्राप्त है -देश और विदेश का . “एक बार चार्ज शीट मैं ..इस का नाम दर्ज हो जाए …’मोदी’ …नरेन्द्र मोदी के नाम की चार्ज शीट बन जाए …, बस !!” उन के लिए आदेश हैं . “खूंटे से बाँध दो इसे , भाई !” सलाह है , विरोधियों की . “तुम्हें मुह माँगा मिलेगा ….! जो चाहे …सो लो …! प्रमोशन से ले कर पोस्टिंग तक ….और धन से ले कर धाम तक !  सब कुछ मिलेगा ! फंड्स की चिंता मत करो ….! पैसों के तो अम्बार लगे हैं …..”

“और …अगर …ये ‘मोदी’ कहीं कामयाब हो गया …… तो …..?” अमित ने बात पूरी की थी . “और अगर ‘मोदी’ आ गया ….तो ….?” वह हंसा था . “सब के पैजामे खुल जाएंगे …..!” उस ने मज़ाक किया था . “और होगा भी ….यही , भाई जी !” अमित ने घडी देखी थी . हमारी मुलाकात का समय पूरा हो गया था . “होगा …यही ….!!” अमित ने अपना वाक्य फिर से दुहराया था . 

हम दोनों आमने-सामने खड़े थे . हम दोनों अब फिर से जुदा होने को थे . हम दोनों …अब फिर से …अकेले-अकेले …सोचने-समझने के लिए ….स्वतंत्र हो रहे थे ! दो प्रतिमाओं की तरह …हम दोनों के होंठ बंद थे . पर आँखें खुलीं थीं …विचार भी बह रहे थे …! लेकिन बाहर से सब मौन था ! शांत था !! कैसी विचित्र विडंवना थी ….कि में – एक मुख्य मंत्री ….अपने दूसरे मंत्री को ….जेल से बाहर निकालने मैं असमर्थ था ….?

“ला …टेक्स ….इट्स …ओन …कोर्स …!” कहा वाक्य मेरे कानों मैं गूँज रहा था . “क़ानून से बड़ा ….कोई नहीं !” एक तथ्य बार-बार उजागर हो रहा था . 

मैं मुड़ा था . अमित खड़ा था . वह मुझे जाते देख रहा था . मैं बाहर जाने के रास्ते को देख रहा था . और मैं जा रहा था . वह पीछे छूट रहा था !

“नहीं,नहीं ! वह पीछे छूटने वाला ….आईटम ही नहीं है …!” मैंने स्वयं से कहा था . “अमित तो बहुत दूर जाने वाला इंजिन है ! वक्त है कि ….उसे रोके खड़ा है ….? पर वह अपनी मंजिल पा कर ही रहेगा ….!!” मेरा दृढ़ विश्वास था . “अमित के विचार ….अमित का सोच …और अमित के आचरण छोटे नहीं थे ! वह नीचे गिर कर तो कभी सोचता ही नहीं था ! स्वार्थ ….या कि …स्वयं को पोषने जैसी कोई भावना अमित को छूती तक नहीं थी ! वह तो बना ही परमार्थ के लिए था ! वह तो था ही दूसरों के लिए …..”

“वह मुझे आगे मिलेगा …..अपनी मंजिल पर खड़ा मिलेगा …..मुस्कराता मिलेगा ….और फिर हम दोनों ……” विचार आया था ….और चला गया था !! 

क्या कुछ तय हुआ था – हमारी मुलाक़ात में – यह किसी को भी पता न था ! 

अटकलें लगाई जा रही थीं . कयास थे जो लिखे जा रहे थे ! हाँ ! हलचलें गुप्त थीं . मीडिया तो पूरी हरकत में था !!! 

“चरित्रहीन है , मोदी !” प्रदीप शर्मा सुप्रीम कोर्ट में कह रहे थे . “मुझ पर भ्रष्टाचार का आरोप इस लिए लगाया गया है ….क्यों कि में नरेन्द्र मोदी और उस की मासूका के भेद जानता हूँ ! क्यों कि में जानता हूँ कि ….किस तरह …नरेन्द्र मोदी उस हसीन  लड़की के पीछे ६२ दिन तक …जासूसी कराते रहे थे …और उस का पीछा करते रहे थे !”

“क्यों ….?” जज साहब ने प्रश्न पूछा था . 

“इस लिए ….योर ओनर …कि वह लड़की ….लड़की नहीं , परी है !! सब्ज़ परी !!! वह असाधारण है …..बहुत ….बहुत ….सुंदर है …” प्रदीप शर्मा बताते ही जा रहे थे . “में उसे बहुत ही करीब से जानता हूँ !” 

“कैसे …..?”

“मैंने ही तो उस की मुलाक़ात कराई थी ….!” प्रदीप शर्मा मुसकराए थे . 

कोर्ट का बोझिल वातावरण एक सहजता से भर गया था ! एक लड़की ….बहुत सुंदर लड़की की तस्वीर हर आँख के आगे आ कर टंग गई थी .  हर मन अब उस लड़की के बारे ही सोच रहा था ….जिसे नरेन्द्र मोदी ….६२ दिनों तक खोजते ही रहे थे……और उसे अपने जाल मैं फंसाने के लिए भागते ही रहे थे ….? 

“क्यों ….?” जज साहब का दूसरा प्रश्न था . 

“इस लिए ….योर लार्ड शिप …..कि हमारे मुख्य मंत्री ….श्री नरेन्द्र मोदी ….छड़े-छांट हैं ….और इन्हें शौक है ….कि ….” एक आरोप भरे कोर्ट मैं …प्रदीप शर्मा लगा रहा था . उस के चहरे पर शरारत खेल रही थी . लड़की का प्रसंग ….कोर्ट …के भीतर आ कर भी गुम न हुआ था ! वरन वह कथित लड़की जिन्दा हो कर कोर्ट रूम मैं आ खड़ी हुई थी !! “यह लड़की इन्हें …पसंद है …! यह लड़की एक आर्किटैक्त  है . यह लड़की …..एक …..”

“ये सब ….आप कैसे कह सकते हैं ….?” जज साहब ने अब की बार आपत्ति जताई थी . 

“सबूत के आधार पर कहा रहा हूँ , योर लार्ड शिप ! और ये लीजिए – सबूत !!” उस ने एक सी डी जज साहब को थमा दी थी . “जांच करने पर सारे सबूत सामने होंगे …..” वह मुसकरा रहा था . 

हर आँख अब प्रदीप शर्मा को ही घूर रही थी . प्रदीप शर्मा लोगों को कोई जादूगर जैसे लगे थे – जिन के झोले मैं मुरादों की तरह सब कुछ था !  

“जांच कराने पर …जासूसी करने का अपराध भी हमारे मुख्य मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ बनेगा !” प्रदीप शर्मा समझा रहे थे . “शर्म की बात है ….कि एक कुंआरी कन्या …..के चरित्र हनन की ….इतनी घिनौनी ….और शर्म-नाक कोशिश …?” प्रदीप शर्मा अब भावुक थे . “ये हमारे मुख्य मंत्री हैं …..? ये हमारे नेता हैं …..? लेकिन ….इन के कारनामे तो देखिए …….?” 

“क्या कोई सबूत है …..आप के पास ….?” अंतिम प्रश्न था , जज साहब का . 

“सबूतों की तो ….संख्या ही नहीं , जनाब !” अब की बार प्रदीप शर्मा गरजे थे . “लेकिन ….सुनवाई …हो ….तब ….न ….?” उन की आवाज़ कांपने लगी थी . “इन के नाम से ही लोग घबराते हैं …!” वह बात का खुलासा कर रहे थे . “पूरी पुलिस फ़ोर्स परेशान है ….पूरा का पूरा तंत्र तबाह हुआ खड़ा है …..!! ही …इज …ए टेरर , मी लार्ड ……” वह कहते ही गए थे . 

उस दिन कोर्ट में मिली सफलता ….और हुए स्वांग – दोनों का सेलिब्रेशन तीस्ता सीतल्बाड के घर पर हुआ था ! 

“आज आया मज़ा ….!” तीस्ता प्रसन्न थी . “अब हारेगा …!!” उन का कथन था . “पर …इस लड़की पर निगाह रखना , शर्मा जी …?” उन्होंने चेतावनी दी थी . “बड़े ..उस्ताद हैं , ये मोदी …..? तोता उड़ गया ….तो …..”

“ये पिंजड़ा टूटने वाला नहीं है , मैडम !” प्रदीप शर्मा ने प्रसन्न हो कर बताया था . 

‘गुलेल’ और ‘कोब्रा पोस्ट’ भी इसी प्रसंग को ले कर …अखाड़े मैं उतर आए थे . आम आदमी पार्टी के नेता  प्रशांत भूषण  ने भी सुप्रीम कोर्ट मैं याचिका दाखिल कर …इस लड़की के प्रसंग की पुष्टि की थी ….और जासूसी प्रकरण की जांच कराने की गुजारिश भी की थी ! 

‘लड़की’ और ‘जासूसी’ …..के दो शब्द ….दो नए आयामों की तरह ….मेरे जिस्म से आ जुड़े थे ! एक नई आभा की तरह का कुछ था ….जो मुझ तक चल कर आया था ….और फिर गुम हो गया था ! 


जासूसी का युग आरंभ हुआ था . मैं अचानक ही दादा जी की आवाजें सुनने लगा था . “ये कोढ़ जर्मनी से आया था !”

“कैसे ….?”

“प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो चुका था . यूरोप के देश आपस में लड़ रहे थे .”


क्यों….?”

“अब सब को गुलाम देशों की दरकार थी . अंग्रेजों जैसा ‘भारत’ सब को चाहिए थे ! सब चाहते थे कि …वो भी अपने झंडे …फहराएं ….विश्व विजय पर निकलें ….और ….”

“और हमारी जंग का क्या रहा ….?” मैंने पूछा था . “क्या हम …..”

“हारे तो नहीं थे …..! पर , हाँ ! निराश अवश्य हुए थे …..”

“क्यों ….?”

“इसलिए , नरेन्द्र कि ….अंग्रेजों ने बड़ी ही बारीक समझ के साथ हमें फिर से बाँट दिया था ! जो शक्ति संगठित हो कर उन के सामने आई थी …उसे उन्होंने तीन टुकड़ों में बाँट कर ….दो दिशाओं मैं फ़ेंक दिया था !” दादा जी गंभीर थे . “उन के जासूसों को पल-पल का पता होता था …कि कहाँ …क्या चल रहा था ….क्या पक रहा था …और वो कौन थे जो उन के खिलाफ थे ….?”

“अब कौन थे , उन के खिलाफ ….?”

“तीन स्तंभ थे – लाल …..पाल …..और बाल !” वो तनिक मुसकराए थे . 

“मतलब …..?”

“मतलब कि ….जहाँ बंगाल में …अब बागडोर विपिनचंद्र पाल के हाथों मैं थी ….तो लाहौर में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय संघर्षरत थे ! उधर दक्खिन में थे ….बाल गंगाधर तिलक ….या कहें ….लोकमान्य तिलक ….जो आज़ादी की मशाल को …थामे खड़े थे ….! और दो दिशाएं …..” रुके थे , दादा जी . 

“दो दिशाएं ….?” मैंने पूछ ही लिया था . 

“हिन्दू और मुसलमान ! अब दोनों दो अलग-अलग दिशाओं में देख रहे थे ! दोनों अलग-अलग मंसूबों  के साथ लड़ रहे थे ! और अंग्रेज थे कि ….हंस रहे थे !”

दादा जी की आँखों में घोर निराशा भरी थी !! 

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!