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Sakshi

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हमारी टोली सफ़ेद रस्सों से एक दुसरे के साथ बंधी थी | हम मानो अब एक-एक कड़ी जोड़कर बनी एक चैन थे | एक ह्यूमन चैन .. जिसे अब कदम दर कदम दुश्मन के नापाक इरादों को नाकाम करने के लिए अग्रसर होना था – आहिस्ता-आहिस्ता | ऊपर की चढ़ाई चढ़ने की यह तैयारियां मुझे मुक्कमल लगीं थीं | गर्क अंधरे में घोलायित हुए हम अब हवा में उड़न-छु हो जाना चाहते थे |

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Description

हम छहों आदमी अब एक जान – एक प्राण थे| हमारी पीठों पर लदा साज सामान भी … और हमारे पहने कपडे – अब सफ़ेद रंग के थे | ऊपर के बर्फीले प्रदेश की काया के साथ एकाकार होने के लिए यह रंग आवश्यक था| हमने सफ़ेद रंग के ही जूते पहने थे | हमारे हाथों पर चढ़े दस्ताने भी सफ़ेद रंग के ही थे | हमारे बर्फ में काम आने वाले छोटे-छोटे टेंट भी सफ़ेद रंग के थे | अगर हम छहों आदमी ठीक दुश्मन की नाक के नीचे भी खड़े हो जाते तब भी इस बर्फानी प्रदेश में हमारा दिखाई देना दुश्वार ही था |

कैमोफ्लाज़ की यह कला हर सैनिक के जन्म से ही उसे दीक्षा के रूप में दी जाती है | इलाके के अनुसार उसमे गिरगिट की तरह रंग बदल कर इस तरह समां जाना की एक बार बिलकुल पास आया आदमी भी धोखा खा जाय | इस कला के ही जरिए सैनिक अपने बहुत सारे दुसाध्य कार्य बड़ी ही आसानी से कर डालता है |

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