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रजिया भाग 7

रजिया भाग 7

“रूस का हवाई अड्डा तबाह कर दिया है।” मिली सूचना मेरी डेस्क काे हिला कर धर देती है। मैं विस्तार से लिखी खबर काे ध्यान से पढ़ती हूॅं। लगता है जैसे किसी ने वर्षाें पहले से इस घटना काे साेचा हाेगा, संजाेया हाेगा और फिर आकर इसे अंजाम दिया हाेगा।

जंगल में दंगल संग्राम पंद्रह

जंगल में दंगल संग्राम पंद्रह

सर्पों ने हमला किया था। लेकिन न जाने कहां से और कैसे वही लपलपाती रोशनी की लहर दौड़ी थी और हमला करते सर्प जलकर भस्म हो गए थे। सर्पों में भगदड़ मच गई थी। मणिधर की भी घिघ्घी बंध गई थी। चारों ओर सर्पों की लाशें ही लाशें बिछ गई थीं।

पूस की रात

पूस की रात

- प्रेमचंद हल्कू ने आकर स्त्री से कहा - सहना आया है| लाओ, जो रूपए रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे| मुन्नी झाड़ू लगा रही थी| पीछे फिर कर बोली - तीन ही रूपए हैं, दे दोगे तो कम्बल कहाँ से आवेगा? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी? उससे कह दो, फसल पर दे देंगे| अभी...

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