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Gargi Se Gandhari Tak

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अश्वनी ने लिखा था –

कैप्टेन ऐ के

माधुरी जी!

अजनबी हूँ और अनजाने में लिख रहा हूँ| यह भी पता नहीं की क्या लिखना है? अखबार में तुम्हारा नाम पढ़ा था और सोचा – शायद तुम किसी दोस्त की तलाश में हो तो लिख रहा हूँ| मै भी अकेला हूँ – बिलकुल अकेला| मन का सूनापन खाने को आता है, दिमाग में उगे विचार सरदर्द दे जाते हैं| इसलिए सोचा की कोई नया प्रपंच रचाएं|

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Description

अश्वनी ने लिखा था –

कैप्टेन ऐ के

माधुरी जी!

अजनबी हूँ और अनजाने में लिख रहा हूँ| यह भी पता नहीं की क्या लिखना है? अखबार में तुम्हारा नाम पढ़ा था और सोचा – शायद तुम किसी दोस्त की तलाश में हो तो लिख रहा हूँ| मै भी अकेला हूँ – बिलकुल अकेला| मन का सूनापन खाने को आता है, दिमाग में उगे विचार सरदर्द दे जाते हैं| इसलिए सोचा की कोई नया प्रपंच रचाएं|

पत्र पढ़कर तुम मुझसे बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर चाहोगी| मै सिर्फ इतना ही बता पाउँगा की मै आर्मी में एक कैप्टेन की हैसियत से काम करता हूँ| सोचोगी बड़ा आदमी हूँ, पर मै तुम्हारे लिए एक दोस्त से ज्यादा और क्या हो सकता हूँ? पता नहीं मै जो कुछ लिख रहा हूँ तुम्हे पसंद भी आएगा या नहीं? हाँ पत्र मिल जाने पर कृपया दो पंक्तियाँ लिखकर अवश्य भेज देना ताकि मन को शांति मिल जाये|

Additional information

ISBN

978-93-81772-12-6

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