by Major Krapal Verma | Dec 5, 2025 | स्वामी अनेकानंद
आज 19 तारीख मंगलवार था। स्वामी अनेकानंद के दरबार में चार बजे शाम का समय निश्चित हुआ था। एक अनुभवी पार्टी कार्यकर्ता की तरह बबलू ने मुकम्मल बंदोबस्त किए थे। पार्टी के सारे कार्य कर्ता, अध्यक्ष और उपाध्यक्षों पर सूचना थी कि आज विलोचन शास्त्री के घर से जुलूस 12 बजे...
by Major Krapal Verma | Dec 2, 2025 | स्वामी अनेकानंद
प्रतिष्ठा ने पहली बार पहाड़ देखे थे। उसका मन एक अनोखी भव्यता से भर गया था। वह भागी थी – पहाड़ों की कमर पर। वह डोली थी – बर्फ की ऊंची श्वेत धवल श्रेणियों पर। उसने जी भर कर पहाड़ों की पवित्र बयार को पिया था। उसकी निगाहें पहाड़ी सिलसिलों में जा धसी थीं। वह...
by Major Krapal Verma | Dec 2, 2025 | स्वामी अनेकानंद
चुनावों का भूत बंबई शहर पर बुखार की तरह चढ़ बैठा था। वोटरों की पूछ होने लगी थी। उनकी सुख दुख की चिंता भावी चुनाव प्रत्याशियों को सताने लगी थी। उनकी जरूरतें भी अचानक प्रत्याशियों को याद आने लगी थीं। उन्हें क्या कुछ चाहिए था – उजाले की तरह आलोकित हो उठा था। अचानक...