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मानस माधव इंटरनैशनल, पांच सितारा होटल लकदक रोशनी में नहाया खड़ा था। बैंड बाजा बज रहा था। प्रेस के लोग पहुंच गए थे। भीड़ जुड़ती जा रही थी। स्वामी अनेकानंद के आने का इंतजार था। तभी एक लंबी चौड़ी विदेशी कार आती दिखी थी। स्वामी जी आ रहे थे। कार धीमी रफ्तार पर चल रही थी।...				
					
			
					
											
								 
							
					
															
					
					 by Major Krapal Verma | Oct 27, 2025 | स्वामी अनेकानंद
बर्फी उस समूची रात सो नहीं पाई थी। राम लाल और आनंद नहीं लौटे थे। लौटा था एक पैगाम – उड़ गया पंछी पिंजरा तोड़ के। राम लाल मर्द तो था पर उसका मन मीत न था। जेठवा के बाद उसे कोई मन मीत मिला ही नहीं। लाश रह गई थी वह जेठवा के मरने के बाद। जेठवा याद आते ही अचानक आनंद...				
					
			
					
											
								 
							
					
															
					
					 by Major Krapal Verma | Oct 26, 2025 | स्वामी अनेकानंद
“नउआ और कउआ – दाेनाें ही साले हरामी हाेते हैं।” नशे में धुत मग्गू कल्लू के कारखाने में आम ताैर पर कहता था ताे पूरी जमात ठहाके मार कर हंसती थी। कल्लू पर छाेड़ा ये तीर ठिकाने ताे लगता लेकिन कल्लू सबके साथ मिल कर ठहाके लगाता रहता। कल्लू भी मानता था कि...