स्नेह यात्रा भाग आठ खंड सात

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड सात

“वो जो इस मीटिंग के सुझावों से सहमत नहीं अब हाथ खड़ा करें!” मुक्तिबोध ने दोबारा घोषणा की है। “हाथ खड़ा नहीं – मैं आवाज बुलंद करना चाहती हूँ!” आवाज के तीखेपन से और दिशा से ही मैं जान गया हूँ कि बोलने वाला शीतल के अलावा और कोई नहीं है।...
स्नेह यात्रा भाग आठ खंड सात

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड छह

इसका मतलब मैं एक ही निकाल पाया हूँ कि यहां लोग जो भी कदम उठाते हैं निजी स्वार्थ पहले देखते हैं। आगामी उथल-पुथल या राजनीतिक परिवेश का विश्लेषण कर, तार्किक शक्ति पर तोल और जनता का मन पढ़ कर ही हर निर्णय लेते हैं। त्यागी के लिए मैं एक जाना माना सोर्स हूँ और वह भी चाहता...
स्नेह यात्रा भाग आठ खंड सात

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड पांच

“सुनाओ गोपाल, क्या हाल है?” मैंने लेवल रूम में प्रवेश किया है। “चल रहा है, मालिक!” गोपाल ने हंस कर उत्तर दिया है। “आज तुम हमें काम करने दो! थोड़ा सिखाओ फिर तुम्हारी तरह हम भी ..” “नहीं सर! आप मालिक हैं ..” “तभी तो...
स्नेह यात्रा भाग आठ खंड सात

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड चार

“देट्स राइट!” मुक्ति राजी हो गया है। बहुत सोच विचार के बाद मुक्ति का संताप हरने हेतु मैंने उसे आगे की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है। जिम्मेदारी की चादर स्वयं ओढ़ नया तरीका संभाल और अपनी योजना पेट में पचाए मैं मुक्ति को फिर से अमेरिका की सैर करा रहा...
स्नेह यात्रा भाग आठ खंड सात

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड तीन

कमरे में सब कुछ नया सा लगा है। नए नौकर के आगमन से मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि सब कुछ वैसा ही होगा जैसा पहले था। हर बार नए आदमी को सिखा पढ़ा कर अपने योग्य बनाना भी मुझे अब भारी काम लगा है। मैं पता नहीं क्यों पुरानी पीढ़ियों की तरह पुराने नौकरों से चिपका रहना चाहता...
स्नेह यात्रा भाग आठ खंड सात

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड दो

हवाई जहाज लंबी यात्रा की उड़ान से थक कर कबूतर की तरह जमीन पर जा टिका है। गुर्राती मशीन शांत हो गई है। सांयसांय करते पंखे धीरे-धीरे विश्राम की स्थिति में लौट रहे हैं। इस कार्यान्वित होते दृश्य में मैं भी अब तक पिसता रहा था। पंखों की चरखियों पर चढ़ा घूमता रहा था और पता...