by Major Krapal Verma | Jun 2, 2023 | स्नेह यात्रा
“रात कैसी कटी?” मैंने हंसते हुए सोफी से पूछ लिया है। प्रश्न के साथ-साथ हमारी चंचल आंखें ठहर कर एक दूसरे से यही प्रश्न पूछ रही हैं। सोफी ने मुझे बहुत प्यारी नजर से घूरा है और कहा है – सुपर्ब! एक गौरव मुझमें व्याप्त होता लगा है। पुरुष होने का गौरव...
by Major Krapal Verma | May 30, 2023 | स्नेह यात्रा
आगे लगे रेडियो से अनवरत संगीत मुखरित होता खाने की कमी पूरी करता लगा है। किसी अजान लय पर मैं थिरकता जाता हूँ, सोफी को मरोड़ देता हूँ और अजीब से हाव भावों से अपनी प्रसन्नता जाहिर करता रहा हूँ। बाहर का सुनसान वातावरण हमें अंदर भरे है जैसे शरीर में कोई हृदय – टिप...
by Major Krapal Verma | May 28, 2023 | स्नेह यात्रा
अंधेरे ने हमें मात्र दो चलती फिरती छायाओं में बदल दिया है। गाड़ी तक चलकर आने में खामोशी ही साथ देती रही है। मैं सोफी के आग्रह को उलट पलट कर देखता रहा हूँ। अपने आप को कोसता रहा हूँ और सोफी के खो देने पर क्या करूंगा – सोचता रहा हूँ। एक बार कोई ठोस सत्य जैसा बन कर...
by Major Krapal Verma | May 24, 2023 | स्नेह यात्रा
“और लो गाड़ी का रूप भी बदली!” सोफी कहते-कहते गाड़ी से जा भिड़ी है। मेरे देखते-देखते पीछे से गाड़ी खुलकर एक चौड़ा कारवां बन गया है। एक चढ़ने के लिए दो पैरों की सीढ़ी नीचे गिर गई है और अंदर सोफी ने बैठक का कमरा सजा दिया है। “कम इन!” उसने मुझे...
by Major Krapal Verma | May 22, 2023 | स्नेह यात्रा
“पी लेंगे, चलाएंगे नहीं!” मैंने मजाक किया है। “बहुत बिगड़ गए हो।” “बिगाड़ दिया गया है।” कह कर मैंने सोफी के अंदर कोहनी गाढ़ दी है। “बारबेरियन ..!” सोफी बुदबुदाई है। “अरे हां! व्हॉट इज ए बारबेरियन?” मैंने पूछा...
by Major Krapal Verma | May 19, 2023 | स्नेह यात्रा
कुमार परिवार हमारे इंतजार में बाट जोहता मिला हैं। अनु का चेहरा तनिक लटका है और बच्चे मुझे किसी सम्मोहन के घटने के अपराध में मूक संज्ञा देते लगे हैं। वो आगोश में आने से झिझक रहे हैं। अपने अधपके शरीरों से उगता सुख मुझे नहीं भोगने दे रहे और उदास चेहरों पर वो लावण्य की...