कविता :-
मैंने सोचा है , बॉस ………..
सोचने को किस ने कहा ….?
पॉलिसी फाईल नहीं पढ़ी ….?
कायदे- कानूनों का पाठ नहीं किया ….?
बिन ज़रुरत फिर मुंह खोल दिया ….?
में चाहता हूँ , बॉस …….
चाहता कौन नहीं …..?
मांगता कौन नहीं ……?
ज़रूरतों से खाली कौन है …..?
तुम्हारी तरह ठाली कौन है ……?
में नहीं चाहता बॉस ……..
नकारात्मक अभियान है !
राजनीति का पहला निशान है !!
नेता बनने का पहला मुकाम है !!!
हमें इस से बहुत नुक्सान है !!!!
मुझे अफसोस है , बॉस ……
मुझे भी , तुम्हारी नौकरी का ….
तुम्हारी – ना -नूंकर और हेकड़ी का …..
तुम्हारे सोचने, चाहने – न चाहने का …..
और सब से ज्यादा – तुम्हारे चले जाने का ….
लेकिन बॉस मेरी …..बात …..?
………………………..
श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!