ढूढता हूँ

मेरे “दर्द” का इलाज ढूंढता हूं ,इस शहर में कोई खास ढूूंढता हूं,मेरे “दर्द” को बेहतर जाने मुझसे,किसी को अपने इतने पास ढूंढता...

विजय गीत

शौर्य के पथ पे आज हमारा हो रहा है गुणगान,हर एक हिन्दुस्तानी को है अपने वायुसेना पे अभिमानकि दुनिया में है बढ़ा दिया तुमनेभारत मां का सम्मान,ये राष्ट्र तुम्हे करता है कोटि कोटि...

तुम

मेरी कविता में तुम्हारा स्थान है, क्युकी मेरी दुनिया तुम्हारे बिन विरान है, ज़ुबा कुछ भी कहे लेकिन, ये दिल हमेशा से तुम पे मेहरबान...

ये शहर तमन्नाओं का बाजार है सज रही यहां उम्मीद की बहार है भरने दो उड़ान अपने सपनों को कि ज़िंदगी के दिन भी तो बस दो-चार...

तू मेरा सकूं

मंत्रोच्चारण से,अजान से, लोगों के सभ्य समाज से, नहीं मिलता है सकूं,जो सुन कर मिलता है तेरी आवाज़ से। यार से, संसार से, लोगों के जय जयकार से, नहीं मिलता है सकूं,जो मिलता है तेरे दीदार से। दोलत से,शोहरत से, लोगों के शोहबत से, नहीं मिलता है सकूं,जो मिलता है तेरी मोहब्बत...