by Shivam Patel | Jan 21, 2019 | Uncategorized
न जाने कब कहां कैसे बढ़ा था हमारे दरमियां जो मामला था वो लड़की नूर में डूबी हुई थी मैं सुब्ह-ए-सर्द का कोहरा घना था सफर में ही समझ आया यह हमको मैं खुद में बन गया एक रास्ता था वो जन्मों तक हमारी ही रहेंगी मैं सदियों से इसे सच मानता था वह जो पहचानते भी अब नहीं है उनसे...