आज शुभकामनाओं की दरकार तो सारी दुनिया को है – क्योंकि ..

एक के बाद दूसरा प्रकोप आमने-सामने खड़ा है। एक लड़ाई खत्म नहीं होती तो दूसरा आरम्भ हो जाती है। एक मुसीबत से पल्ला झाड़ते हैं तो दूसरी पकड़ लेती है। और तो और जैसे तैसे शादी करने का मूड बनाते हैं और पता चलता है कि सारी की सारी बुकिंग कैंसिल हो गईं!

अब हंसिये या रोइये, मौसम का मिजाज तो यही है। और इससे बचने के लिए उपाय हम और आप सभी कर रहे हैं। सरकारें भी अपनी पूरी ताम-झाम के साथ लड़ने के बाद भी महसूस करती हैं कि आगे का मुकाबला तो और भी कठिन है। और जो बीत गया सो तो बीत गया लेकिन जो भविष्य में लरक रहा है और भड़क रहा है वह तो कहीं बहुत ही भयानक है।

हो सकता है विश्व युद्ध तक हो जाए! हो सकता है ये बीमारी काबू से बाहर हो जाए। हो सकता है आंधी, तूफान, वर्षा, सूखा और संहार करता ये आसमान पता नहीं कब टूट पड़े! सच में ही डरावना सा कुछ सामने आता ही चला जा रहा है।

लेकिन हमें डरना तो है ही नहीं! हमने खूब मौजें उड़ाई हैं! हमने खूब खूब आनंद भी तो लिया है – जीने का, लड़ने का, सफल होने का और अब कमर कस कर खड़े होने का – नए साल का सामना करने के लिए!

जी हां! नए साल के लिए अब शुभकामनाएं देते हैं कि हम सब सलामत रहें!

सबसे पहले तो तरह तरह के विषाणुओं के आक्रमणों से हमें अपनी बेशकीमती जान बचानी होगी। मरने के बाद तो प्रलय है। लेकिन मरना चाहता कौन है हुजूर? हम तो लड़ना ही मंजूर करेंगे, खूब लड़ेंगे और जंग जीतेंगे – हम सब मिल कर! क्योंकि अब हमारी समझ में आ रहा है कि हम अगर मिल जुल कर रहेंगे, लड़ेंगे तो हारेंगे नहीं! लेकिन अगर ..

जैसा कि माहौल बन रहा है – कि हम लड़ेंगे और मानेंगे नहीं! तब तो शायद जिससे हम शुभकामनाओं के सफल होने की प्रार्थना करने जा रहे हैं वो भी हमें न बचा पाएगा। हमारी मजबूरी ये है जनाब कि कुछ लोग हैं, हमारे ही लोग हैं जो अपनी बंदूक ताने खड़े हैं और कहते हैं कि दुनिया उन्हीं का हुक्म माने। अब सोचिये – क्या ये संभव है? क्या ये उचित भी है? क्या है कि आप ही सब समेट लेंगे और अन्य सब को भूखा मरने के लिए छोड़ देंगे?

और अगर जंग हो ही गई, और अगर आप परास्त हो गये तो?

तो फिर आपकी खैर नहीं! मिट जाएंगे आप धरती से – इस बार!

इसलिए एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं! एक के बाद एक नई खोज हो जो हमें सुखी और समृद्ध बनाए! नए विचार आएं जो मानवता के लिए श्रेष्ठ सिद्ध हों! वो हवा चले जो सारी हारी-बीमारी ले उड़े और सारा संसार सुख समृद्धि के सागर में डूबता ही चला जाए – लबालब!

हर्षातिरेक से झूम उठे आसमान, हम, हमारा आसपास, हमारे सब सगे और हमारे सब सहारे!

ये हमारी उम्मीद है – जिसपर समूचा जगत कायम है!

और ये उम्मीद हमारी शुभकामनाओं से अवश्य फलित होगी – ये मेरा और आपका विश्वास है!

आपका नया वर्ष मंगलमय हो – हमारी शुभकामनाएं, हम सब के लिए ..

धन्यवाद!

मेजर कृपाल वर्मा

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