“आपका सब से बड़ा कांटा निकल गया सुलतान।” पंडित हेम चंद्र सुलतान शेर शाह सूरी को खुशखबरी सुना रहे थे। “बादशाह हुमायू हिन्दू कुश पार कर गये और फारस चले गये।”
“लेकिन .. लेकिन हम तो चाहते थे कि ..?”
“हो नहीं पाया सुलतान!” पंडित हेम चंद्र ने अफसोस जाहिर किया था। “फिर भी एक अच्छी खबर ये है कि हमले के डर से भागते शहंशाह हुमायू अपना छह माह का बेटा ले जाना ही भूल गये।” तनिक मुसकुराए थे पंडित हेम चंद्र। “कहीं यहीं हैं वह .. अकबर ..”
“ढूंढ निकालो उसे पंडित जी।” सुलतान शेर शाह सूरी का स्वर उद्विग्न था। “जैसे भी हो, जहां भी हो हमें ये बालक चाहिये।” सुलतान का फरमान था।
पूरा दरबार चुप था। जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के जन्म की उनके भविष्य के बारे बातें फैल चुकी थीं। लेकिन बालक अकबर का यूं खो जाना अशुभ जैसा ही लगा था लोगों को।
बालक कृष्ण कन्हैया का मामा कंस बुरी तरह से डर गया था।
लेकिन दिल्ली एक नई चहल पहल से भरी थी। बहुत सारे विदेशों के विद्वान, उलेमा, मौलवी, दार्शनिक और उस्ताद दिल्ली पधारे थे। ये सब सुलतान शेर शाह सूरी का फैलता यश और बेजोड़ पौरुष की कहानियां सुन कर उस्मानिया के खलीफा के आदेश पर हिन्दुस्तान पधारे थे। इन्होंने हिन्दुस्तान में घूम घूम कर शेर शाह सूरी के स्थापित किये उन कीर्तिमानों को देखना था जो आज की दुनिया के लिए निहायत नए थे।
“हाजरीन! मैं आप सबका सुलतान शेर शाह सूरी – बादशाह-ए-हिन्द की ओर से स्वागत करता हूँ और राजा महेश दास से आग्रह करता हूँ कि वो आप मान्यवरों को हमारे बादशाह शेर शाह सूरी के किये सुधारों का और विकास के बारे बताएं!”
राजा महेश दास सामने आये थे। एक शक्तिशाली युवक और वीर पुरुष थे राजा महेश दास। सुलतान शेर शाह सूरी ने स्वयं उन्हें चुना था और पूरे राष्ट्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हें सोंप दी थी।
“सब से महान काम जो शहंशाह शेर शाह सूरी ने किया है – वो है राष्ट्र की सुरक्षा। इसमें आंतरिक सुरक्षा और बाहरी सुरक्षा दोनों का समुचित ध्यान रक्खा गया है। इसके लिए आप देखेंगे कि हमने चार बड़े राज मार्गों की संरचना की है। पहला – सोनार गांव बंगाल से आरम्भ होकर पेशावर जाता है। दूसरा आगरा से आरम्भ होकर दिल्ली और बुरहानपुर होकर मुल्तान तक जाता है। तीसरा राज मार्ग है मुल्तान से लाहौर और चौथा है जो आगरा से मांडू तक जाता है।” उन्होंने जमा लोगों को निगाहें भर कर देखा था। सब के चेहरों पर आश्चर्य बैठा दिखा था। “इन सभी राज मार्गों पर हमने छायादार पेड़ लगाये हैं, मीठे पानी के कुंए बनाए हैं ओर आरामगाहों का सिलसिला खड़ा किया है। इन राज मार्गों का जनता और प्रशासन दोनों को सीधा लाभ पहुंचता है। जहां व्यापारियों को बड़ी सुविधाएं मिलती हैं वहीं हमारी फौजों को देश के हर कोने में पहुंच कर दुश्मन से लोहा लेने में बड़ी सुविधा होती है। आज का हिन्दुस्तान पूर्ण प्रशिक्षित और रक्षित है। हमारी सेनाओं के लिए हमने छावनियां बनाई हैं और विदेशी आक्रमणकारियों को रोकने के लिए रोहतास नगरों का निर्माण किया है – जैसे कि झेलम से दस कोस दूर पर बना रोहतास नगर जहां हमारे पचास हजार सैनिक मौजूद हैं। अब दिल्ली को डर नहीं। परिंदा भी पैर नहीं मार सकता हमारे साम्राज्य में ..”
तालियां बज उठी थीं।
“अब मैं राजा टोडर मल से गुजारिश करूंगा कि वो आप लोगों को हमारे सुलतान शेर शाह सूरी द्वारा स्थापित प्रशासनिक उपलब्धियों के बारे बताएं!” अब पंडित हेम चंद्र ने राजा टोडर मल को आमंत्रित किया था।
“हाजरीन!” राजा टोडर मल सामने आये थे। बड़े ही आकर्षक युवक थे राजा टोडर मल। “मैं तो बचपन में ही अनाथ हो गया था। “उन्होंने अपना परिचय दिया था। “और आज मैं बादशाह-ए-हिन्द शेर शाह सूरी का वित्त मंत्री हूँ।” उन्होंने विनम्रता पूर्वक कहा था।
खूब तालियां बजी थीं। उनका स्वागत हुआ था। सुलतान शेर शाह सूरी भी बहुत प्रभावित हुए थे।
“अब मैं आपको शहंशाह शेर शाह सूरी की उन उपलब्धियों से अवगत कराऊंगा जो आज के जमाने में स्वयं में बेजोड़ हैं।” राजा टोडर मल बताने लगे थे। “इन्होंने अपने पूरे साम्राज्य को सैंतालीस सरकारों में बांट दिया है। हर सरकार को परगना, तहसील और ताल्लुकों में विभक्त कर दिया है। इनके संचालन के लिए अमीर, गाजी, मुंसिफ और अमीन नियुक्त हैं जो नियुक्त कानूनों के तहत काम करते हैं और सीधे सल्तनत के नीचे आते हैं। किसी भी अमीर, जागीरदार या उलेमाओं का उनपर अधिकार नहीं है।” ठहर कर राजा टोडर मल ने जमा लोगों को देखा था। “बगावत रोकने का ये अचूक अस्त्र है।” सारांश बताया था राजा टोडर मल ने। “और राजकीय कोष धन माल से लबालब भरा है।” उन्होंने सूचना दी थी।
एक आश्चर्य की लहर दरबार में दौड़ गई थी।
“प्रशासनिक तौर पर हमारे महान शासक बादशाह शेर शाह सूरी ने चार मुख्य विभागों में संरचना की है।” टोडर मल फिर से बताने लगे थे। “पहला है दीवाने खास जिसे मैं देखता हूँ। दूसरा है दीवाने आम – जो फौज के तमाम मामलों को देखता है। तीसरा है दीवाने इंशा जो शाही मामलों को देखता है और चौथा है दीवाने दबीर जो धार्मिक मामलात पर नजर रखता है। इन विभागों के रहते बादशाह को सहूलियत रहती है कि हम मामला मुकम्मल तरीके से निपट जाता है और सुशासन का दायित्व पूरा हो जाता है।” अब राजा टोडर मल ने विहंग दृष्टि से जमा लोगों के चेहरे पढ़े थे। सब की आंखों में एक स्वीकृति थी, सराहना थी और आश्चर्य भी।
“लेन देन के लिए सुलतान ने सोने की मोहर और अगमा चांदी का, आका तांबे का ईजाद किया है। किसी को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है भुगतान के बारे। बड़ी मोहर से लेकर छोटे आका तक भुगतान हो जाता है। मुलाहजा के लिए दरबार में मैंने भी इन सिक्कों को रखवा दिया है – आप लोग देख सकते हैं।” विहंसे थे राजा टोडरमल।
“मुझे आप सब को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि बादशाह शेर शाह सूरी की निगाह के नीचे सल्तनत की सरजमीन पर रेंगती चींटी की भी खबर होती है। इसके लिए राज्य की डाक सेवा को श्रेय जाता है। हर खबर आती है और जाती है – बिना किसी विलम्ब के।” एक और नायाब तरीका लोगों के सामने आया था।
“हमारी सेनाओं को अब भुगतान नकदी में होता है। हमारी सेनाएं अब लूटपाट नहीं करतीं। हमारे सैनिक जरूरत के मुताबिक मोर्चों पर तैनात हैं ताकि दुश्मन अचानक आक्रमण न कर पाए और ..” राजा टोडर मल रुके थे। हाजरीन अभी तक की जानकारी से परम संतुष्ट लगे थे।
“यही नहीं हाजरीन एक और भी नायाब कानून हमारे शहंशाह शेर शाह सूरी ने जारी किया है।” टोडर मल बताने लगे थे। “वो है हमारा व्यापार। मतलब कि विदेशों से हमारा व्यापार। पूरी सल्तनत में दो चौकियां हैं। एक बंगाल में और दूसरी अटक में – जहां से माल असबाब देश के भीतर आता है और बाहर जाता है। यहां पर राजस्व देना होता है। इसके सिवा राज्य में और कोई महसूल नहीं चुकाना होता।” उन्होंने सूचना दी थी। “व्यापारी वर्ग इस सुविधा से महा प्रसन्न है।” राजा टोडर मल भी हंस गये थे।
हर नजर उठी थी और बादशाह शेर शाह सूरी पर जा टिकी थी। उन्हें महिमा मंडित करता राजा टोडर मल भी अब शहंशाह की प्रतिक्रिया पढ़ने लगा था। शहंशाह प्रसन्न दिखे थे और बाहर से आये लोगों को सचेत निगाहों से पढ़ने का प्रयत्न करते लगे थे।
“सारा का सारा काम काज शहंशाह अपने नवरत्नों के जरिए अंजाम देते हैं।” राजा टोडर मल ने अंत में बताया था। “और पंडित हेम चंद्र की निगरानी में सारे के सारे नव रत्न काम करते हैं। बादशाह शेर शाह सूरी इन सब के सिरमौर हैं और कायदे हिन्द हैं।” राजा टोडर मल ने अपनी बात समाप्त कर दी थी।
वाह वाही का एक सिलसिला उठ बैठा था। बादशाह शेर शाह सूरी की जयजयकार हो रही थी। “पहले ही अब तक के शासक हैं जिन्होंने इतने कम समय में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की है।” लोगों की अंतिम राय थी।
निगाहें भर भर कर लोग अब शेर शाह सूरी के नव रत्नों को और उनके संचालक पंडित हेम चंद्र को देख रहे थे।
अंजाने में ही जैसे पंडित हेम चंद्र समूची सभा पर छा गये थे – ऐसा लगा था लोगों को।