हेमचंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ पंद्रह

हेमचंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ पंद्रह

घोड़े पर सवार केसर घुप्प अंधेरे के गर्भ में डूबी चुपचाप खुली आंखों से सामने घटते दृश्य को सांस साधे देख रही थी। केसर की आंखों में आंसू न थे – बल्कि ज्वालामुखी जल रहे थे। यू सफलता के सारे सोपान चढ़ने के बाद सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का इतना दर्दनाक अंत आएगा...
हेमचंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ पंद्रह

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ चौदह

जिस विध्वंसकारी तूफान को लेकर सम्राट विक्रमादित्य ने पानीपत में डटी मुगल सेना पर आक्रमण किया था और जो तूफान पल छिन में दुश्मन को पराजित कर सफलता के सोपान चढ़ने वाला था अनायास वही तूफान दिशाहीन हो गया था, बिगड़ गया था और अब उसे अपने पराए की सुध ही न रही थी। शोर था...
हेमचंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ पंद्रह

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ तेरह

उठी अंगड़ाई के साथ साथ ही सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के अधूरे अरमान भी उठ खड़े हुए थे। “इस बार नहीं!” वह स्वयं से कह रहे थे। “इस बार तो काबुल तक खदेड़ना है और समूल नष्ट कर देना है इन निशाचरों को।” वह तनिक मुसकुराए थे। “अच्छा होता अगर...
हेमचंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ पंद्रह

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ बारह

अबकी बार ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया था। सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के हाथों हुई हार ने मुगल सल्तनत की कमर तोड़ दी थी। सारी सेना या तो मर-खप गई थी या हतोत्साहित हुए सैनिक भाग गये थे। जब से बैरम खां ने तारदी बेग का सर कलम किया था तब से मुगल सेना और उसके सेनापतियों में एक...
हेमचंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ पंद्रह

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ ग्यारह

“जहांपनाह!” तारदी बेग ने कांपती उंगलियों से अकबर को पत्र लिखना आरम्भ किया था। “हेमू माने कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने तूफान की तरह चढ़ाई कर दी है। काली आंधी की तरह अंधाधुंध वेग से आक्रमण कर उसने बयाना, इटावा, संभल और बंगाल फतह कर लिए हैं। कालपी...
हेमचंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ पंद्रह

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग एक सौ दस

आज सासाराम में एक भिन्न प्रकार की हलचल थी। विशाल धर्मसभा का आज आयोजन था। धर्म सभा एक सप्ताह तक लगातार चलनी थी। सप्ताह के अंत में ये सुनिश्चित हो जाना था कि हिन्दू राष्ट्र का धर्म, ध्वजा और भाषा कौन सी होगी। इसके लिए पूरे भारत वर्ष से विद्वान और विचारकों को आमंत्रित...