लोकतंत्र तो देश के लिए है!  
राज नेताओं के लिए नहीं  
एक पार्टी बना लो   
उसके फिर कोई नियम नहीं  
जो मन में आये वो करो!  
चंदा लो, लोगों से, व्यापारियों से,  
नौकरी करने वालों से,  
सरकारी नौकरों को भी  
उगाही का काम दो!  
देश को बेच दो, 
दूसरे देशों से भी चंदा लो, 
देसी कंपनियां कमीशन कम देंगी,  
सारा काम विदेशी कंपनियों को दो,  
यहां के स्कूल कॉलेजों को  
जैसे हैं, रहने दो  
अपने बच्चों को पढ़ने के लिए  
विदेश भेज दो!  
सत्ता में हो तो ठीक,  
अगर नहीं तो सत्ता हासिल करो,  
लोगों को समझाओ, 
लालच दो,  
आपस में लड़ा दो,  
गुमराह करो,  
लोकतंत्र तो देश के लिए है,  
वोट ही तो चाहिये, 
ले लो!  
फिर उसके बाद,  
जो चाहे, सो करो!    

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