आप दुखी इसीलिये है क्यूंकि मन मे आपका निवास है, आप मन की सुन नही पा रहे ,उस ओर चल नही पा रहे,पर हमेसा मन की गलती हो जरूरी नही, शायद मन आपको समझता हो, आपकी मदद करता हो ,आपको अपनाता हो, मन के अच्छे कामो के लिये एक छोटी सी कविता मन के ऊपर, एक गिलहरी प्रयास मेरे द्वारा……..


🙏मन🙏

“मन जो चाहता है वो कर नही पा रहा है।
मन जो चाहता है वो समझा नही पा रहा है।
मन जो चाहता है वो बता नही पा रहा है।
मन जो चाहता है वो देख नही पा रहा है।
मन जो चाहता है वो सुन नही पा रहा है।
पर इसमें भी मन की गलती नही
गीत गुनगुनाने को बहुत है।
मन की आकांक्षा बहुत है।
उड़ानों की अभिलाषा बहुत है।
उलझनो में फसने की इच्छा बहुत है।
पर मन ना चाहते हुए भी
संयमित बहुत है।
मर्यादित बहुत है।
सुशोभित बहुत है।
संलग्न बहुत है।
मन को भी चिंता आपकी, इसिलये खुद को ना बनने देता वासुकि।
इसिलये वो खुद नही देखता सप्तरंगी सपने,क्यूंकि समझता है आपको अपने।
पर मन का कोई थाह नही,
मन उसका है जिसमे मन का वास नही। “

सुमन सौरभ ।।
जोहार।