कितने प्यारे हैं ये पेड़
सब के मन को भाते हैं
परोपकार की भावना इनमें
सब को छाया देते हैं
जब इनमें लगते हैं फल
सबका जी ललचाता है
नहीं पुछते कभी ये हमसे
क्यों मेरे फल खाते हो ?
सबको देते हैं शुद्ध हवा
तन को स्वस्थ बना देता है
जब चलती है ठंडी हवा
सबको राहत मिलती है
पेड़ों के बागों में पहुँचकर
सबका मन खिल जाता है
दुख – सुख में है देते साथ
सबसे अच्छे मित्र यही हैं
ये कुछ भी है लेते नहीं
सबको सदा देते रहते हैं
कितने प्यारे हैं ये पेड़
सब के मन को भाते हैं |
– सूर्यदीप कुशवाहा