ये जिंदगी बहता आब है,
यहाँ मौत हकीकत और जीना ख्वाब है,
रूआब अब दिखता है,हर एक चेहरे पे,
हिन्दू,मुस्लिम का मिला इन्हें खिताब है,
ये जिंदगी बहता आब है।
एक हिज़ाब ओढ़े,फिर रहा हर कोई यहाँ,
एक-दूसरे को, मारने को बेताब है,
कसब की कमी है यहाँ हर हाथों को,
लोगो के ख्वाब,जाने को माहताब है,
ये जिंदगी बहता आब है।
बहती नदियाँ सूख रहीं,
किसानों से माँग रगे,उनके आय का हिसाब है,
ये जिंदगी बहता आब है,
यहाँ मौत हकीकत और जीना ख्वाब है।
“उत्तम”
( आब=पानी,हिज़ाब=बुर्का, कसब=काम ,माहताब=चाँद)