एक नन्हीं तितली
जो रोज़ मेरे आँगन में
आ जाती है
कहीं वो तुम तो नहीं
बहुत प्यार से
मुझे देख
फ़िर एक फूल से
दूसरे पर
उड़ जाती है
कहीं वो तुम तो नहीं
तितली को देखते ही
तुम्हारी ममता का अहसास
हो आता है
माँ!!
ऐसा लगता है
तितली के रूप में
कहीं तुम तो नहीं
क्या कहती हो तुम
मुझसे तितली बनकर
कहीं तितली के रूप में
एक बार फ़िर मेरे साथ
रहने की इच्छा जताने वाली
कहीं तुम तो नहीं।