राम चरन भाग चालीस

राम चरन भाग चालीस

आज सात दिन हो गए थे। राजेश्वरी ने पंडित कमल किशोर से सीधे मुंह बात न की थी। “कसूर तो बताओ महारानी!” पंडित कमल किशोर आज अड़ गए थे। “मेरी जान ही ले कर रहोगी!” उन्होंने राजेश्वरी को याचक निगाहों से देखा था। अपने सामने हार मानते पंडित कमल किशोर...
राम चरन भाग चालीस

राम चरन भाग उनतालीस

ग्राहकों की भीड़ लगी है। राम चरन पर आंख उठाने तक की फुरसत नहीं है। भोंदू दनादन थालियां साफ करता जा रहा है और राम चरन को पकड़ा रहा है। खूब धन बरस रहा है। कालू नोटों से भरी दोनों जेबों को देख कर भी खुश नहीं हुआ है। रीती-रीती निगाहों से कालू ने खाली-खाली आसमान को देखा...
राम चरन भाग चालीस

राम चरन भाग अड़तीस

“गाड़ी लग गई है, साहब!” ड्योढ़ी से आ कर दरबान ने सूचना दी थी। ढोलू सराय पर शाम ढल रही थी। बड़ा ही खूबसूरत मौसम था। सूरज किले के पीछे जा छुपा था। सुखद पुरवइया छूट गया था। आसमान ललोंही विभा से भरा तना खड़ा था। इंद्राणी और सुंदरी मंदिर जा रही थीं। इंद्राणी का...
राम चरन भाग चालीस

राम चरन भाग सैंतीस

अरुण वरुण के स्कूल जाने के बाद घर में अपार शांति भरी थी। आज पहला मौका था – शायद वर्षों के बाद जब कालू और श्यामल साथ-साथ दिन के उजालों में मिल रहे थे। एक उत्सव जैसा लग रहा था – दोनों को। आज उन दोनों को सेंट मेरी एंड जॉन्स स्कूल में इंटरव्यू देने जाना था।...
राम चरन भाग चालीस

राम चरन भाग छत्तीस

“चुनावों की घोषणा हो गई!” कुंवर खम्मन सिंह ढोलू लंबी उच्छवास छोड़ कर बोले थे। हाथ में लगे अखबार को सामने की मेज पर पटक कर उन्होंने साथ बैठी इंद्राणी और सुंदरी को चलती निगाहों से देखा था। “मुझे तो अब फुरसत मिलना मुश्किल है इंद्राणी!” वह बताने...