राम चरन भाग पचास

राम चरन भाग पचास

आज पहली बार था जब राम चरन को सुंदरी की परम आवश्यकता थी। चांद – लगा था चकोरी के प्यार में पागल हो गया था। “तुम हो कहां सुंदा?” राम चरन ने फोन पर गुहार लगाई थी। “मैं .. मैं – आई मिस यू भाई!” उसने शिकायत की थी। सुंदरी का मन मयूर नाच...
राम चरन भाग पचास

राम चरन भाग उनचास

पहली बार ही राम चरन ने पंडित कमल किशोर को इतना हैरान परेशान देखा था। “क्या हुआ गुरु जी?” राम चरन ने बड़े ही आत्मीय ढंग से पूछा था। “खैरियत तो है?” उसने जानना चाहा था। पंडित कमल किशोर चुप थे। कुछ बोल ही न पा रहे थे। एक सदमा उनके चेहरे पर...
राम चरन भाग पचास

राम चरन भाग अड़तालीस

“जन्मेजय को तो नहीं बताया?” कुंवर साहब का पहला प्रश्न था और पहला शक था। “नहीं!” इंद्राणी ने डरते-डरते कहा था। “क्या इसी लिए तुमने जन्मेजय को बुलाया था?” “हां!” “गुड!” कुंवर साहब को तनिक सा सहारा मिला था।...
राम चरन भाग पचास

राम चरन भाग सैंतालीस

रात के सन्नाटे में ढोलू सराय का किला सजग प्रहारी सा अटल खड़ा था। किले ने अनगिनत आक्रमणकारियों को आते जाते देखा था। युद्ध लड़े गए थे। जीते गए थे। हारे गए थे। लेकिन ढोलू वंश अभी तक सुरक्षित था। कुंवर साहब का देश का कृषि मंत्री बनना एक गौरवपूर्ण घटना थी। ढोलू वंश के महा...
राम चरन भाग पचास

राम चरन भाग छियालीस

नए भारत के निर्माण की हवा आज राष्ट्रपति भवन में आजादी से डोल फिर रही थी। चुनावों में अभूतपूर्व विजय हासिल करने के बाद आज सब नया-नया लग रहा था। लोग नए थे, इरादे नए थे, हवा नई थी और शपथ ग्रहण का आयोजन भी नया था। स्वयं कुंवर खम्मन सिंह ढोलू आज नए नूतन इरादों से लबालब भरे...