राम चरन भाग एक सौ चौदह

राम चरन भाग एक सौ चौदह

ये अल्लाह की अलामत ही थी कि मुनीर खान जलाल जहन्नुम में से भाग जन्नत में पहुँच गया था। वह बहुमंजिला इमारत पर बैठा एक खुशगवार नजारे को देख रहा था। और खुश-खुश हो रहा था। कहीं दूर गगन के उस छोर पर नीला समुद्र उससे गले मिल रहा था। कुछ किश्तियां थीं और कुछ बड़े-छोटे पानी के...
राम चरन भाग एक सौ चौदह

राम चरन भाग एक सौ तेरह

जिंदगी में आज पहली बार था जब बलूच पूरी रात सो न पाया था। ब्रिगेडियर मुस्तफा को गहरी नींद में सोते देखता ही रहा था – बलूच। लेकिन क्या मजाल जो पलकें बंद हों तो वह भी सो कर देखे। लेकिन ये रात उसके लिए रात नहीं थी – एक अहसासों की बाढ़ थी जो उसे बहाए-बहाए बहाती...
राम चरन भाग एक सौ चौदह

राम चरन भाग एक सौ बारह

पाकिस्तान लौट रहा था बलूच लेकिन चीन उसे रह-रह कर याद आ रहा था। “वॉट ए नेशन यार!” बलूच का मन बोला था। वह भी अब चीन जैसी बुलंदियों पर ही उड़ रहा था। “पाकिस्तान को भी ..” मन बार-बार पाकिस्तान को भी समर्थ, वैभवशाली और आधुनिक देश देखना चाहता था।...
राम चरन भाग एक सौ चौदह

राम चरन भाग एक सौ ग्यारह

सीनियर ऑफीसर मुनीर खान जलाल का अचानक अस्पताल से गायब हो जाना – नैशनल न्यूज बन गई थी। जरनल नारंग और सलमा के मर्डर से जुड़ा मुनीर खान जलाल भी अब बेहद प्रासंगिक हो उठा था। उसके प्रति अब तक की उमड़ी सहृदयता और सहानुभूति – शकों में बदल गई थी। कुछ तो था जो मुनीर...
राम चरन भाग एक सौ चौदह

राम चरन भाग एक सौ दस

खुली खिड़की के पास बैठा मुनीर खान जलाल सूने आसमान पर लिखी अपनी किस्मत की इबारत को गौर से पढ़ रहा था। वो तीनों जिगरी दोस्त थे। वो तीनों तीस मार खान थे। उन तीनों को शिखर छूने थे। और नाम और नामा कमाना था। औस सलमा ..? तीनों की दोस्त थी। तीनों की हार्ट बीट थी। लेकिन नाम...