महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !

भोर का तारा- नरेन्द्र मोदी .

उपन्यास -अंश:-

“आ गया ऊँट …पहाड़ के नीचे ….?” चिदाम्बरम बोल रहे थे . “हार गया ….न …?” उन्होंने बैठी जमात को पूछ लिया था . “कहता था -१३० ….!! हा हा हा ….!!” वो हँसे थे . “हम जीता है ….! हमारा दो सीट जास्ती आया है …!! ट्रेंड बदली हुआ है …और अब लोक सभा चुनावों में कांग्रेस ….”

उन्होंने जमा लोगों की प्रतिक्रिया पढ़ी थी . सब के चहरे बुझे -बुझे लगे थे . किसी ने भी तालियाँ न बजाईं थीं …? सब के सामने जैसे मोदी का भूत आ खडा हुआ था ….और सब -के-सब बे-दम थे ….!!

“केजरीवाल ने भी लीद करदी ?” शीला जी कह रहीं थीं . “कितने जतन से उभारा था ,इसे …?” उन का उल्हाना था . “मैग्सेसे अवार्ड दिलवाया …फंड दिलवाए ….और एक ‘ईमानदार ‘ आदमी की इमेज तैयार की ….! लेकिन …मात्र २०० करोड़ के चंदे पर ही मर गया …? सारा गुड -गोबर कर दिया ,मूर्ख ने …?” उन्होंने अब आस-पास बैठे दिग्गजों को घूरा था .

कोई कुछ न बोला था . लगा था – केजरीवाल कल की गई-बीती कोई बात भर था …? विदेश द्वारा विरचित ये ‘देव-पुरुष’ न जाने कैसे एक मौम के पुतले की तरह पिघल गया था …? न जाने कैसे इसे जनता जांन गई थी …? वरना एक बार तो …इस के नाम की आंधी उठी थी …? एक बार तो ये – तूफ़ान आ गया लगा था – लोगों को …? लगा था – ये देश को ले कर सही दिशा में चल पड़ेगा ….और …दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के बीचों-बीच से पार कर जाएगा ……

और जनता भी इस के पीछे भाग ही ली थी ….पर ….

“ये अमेरिका की पहली हार तो नहीं है …?” बुद्धिजीवी हिसाब लगा रहे थे . “लेकिन इसे आरंभ भी नहीं कहा जा सकता …?” उन का अनुमान था कि अमेरिका हरगिज़ न हारेगा ?

मनमोहन तो अपना हाथ ठीक खेल रहे थे ….!!

जैसे देश की नीलामी हो रही हो …ऐसा ही कुछ माहौल पैदा कर दिया था …? छूट थी – सब को खाने-कमाने की पूरी-पूरी छूट थी ! ‘जो …जो चाहे – सो करे …’ प्रजा तंत्र का मूल रूप प्रयोग में था ! और फिर क़ानून तो था ही …? सब को सज़ा मिलेगी – यह घोषणा भी हो चुकी थी !

मनमोहन जी को लोग अब भी निहायत ही शरीफ और ईमानदार आदमी मानते थे …..? और यही सब से बड़ी उपलब्धि थी – मनमोहन जी और उन की सरकार की ….?

“महान हैं , हमारे मनमोहन जी !” वोहरा कह रहे थे . “देश-विदेश में नाम है – इन का ….? साफ़ छवि है – इन की ! इतना बड़ा ईमानदार आदमी ….और कद्दावर नेता …पूरे विश्व भर में नहीं है …?” वो बताते ही जा रहे थे .

“लेकिन इस बार मनमोहन जी का …कोई चांस नहीं ….?” विरोध में बोला था ,कोई . “अब तो राहुल जी का वक्त आन पहुंचा है …? अब इन का ‘राहुल-ब्रिगेड ‘ …’युवा-कांग्रेस’….और ‘युवा-शक्ति’ …अपना चमत्कार दिखाएंगे …?” वह बताता जा रहा था …और तालियाँ भी बज रहीं थीं .

मात्र राहुल गाँधी के नाम पर ही लोग अब …चहकने …लगे थे ….!!

हाई कमान की आँखें भी खुलीं थीं तो …खुली ही रह गईं थीं …! विश्व भर में …राहुल के दीवाने थे – लोग …यह एक हैरानी की ही बात थी ….?

“हम …बूढों को …अब तीर्थ पर निकल जाना चाहिए ….?” दिग्विजय सिंह ने सुझाव रखा था . “वक्त अब इन का है …? हमने खा-कमा लिया …? हा हा हा ….” वो बड़े जोरों से हंस पड़े थे .

लेकिन उम्मीद के बरखिलाफ ..उन के सुझाव पर तालियाँ न बजीं थीं ….?

“मोदी ….आता है …तो इधर में …तो राहुल जी के सिवा और कोई नहीं …आ सकेगा …?” धूमल जी कह रहे थे . “न …और किसी के वश का ही नहीं है- मोदी ….?” उन्होंने अपनी ही बात की पुष्टि की थी . “मई ने गुजरात चुनाव में राहुल के तेवर देख कर …ही हिसाब लगाया था कि …यही टक्कर लेगा – मोदी से …? भई …क्या गज़ब की …बोलती है …इस आदमी कू …?” धूमल जी ने अपने आस-पास को निहारा था .

फिर भी तालियाँ तो न बजीं थीं ….!!

“भई, सब से बड़ी तो एक ही बात है …?” अब दिगम्बर जी बोल रहे थे . “कि …जब राहुल जी का नाम आता है ….तो नाम आता है – मोतीलाल नेहरू का …फिर पंडित नेहरू …फिर दादी इंदिरा गाँधी …पिता राजीव गांघी …और ….” अब आ कर उन्होंने लोगों को निगाहों में भर कर तोला था .

तालियाँ बजीं थीं . नेहरू खान-दान के लिए …उन की उपलब्धियों के लिए …और उन के राजनीतिक वैभव के लिए …पुरजोर तालियाँ बजीं थीं !!

“और कांग्रेस पार्टी ….?” समर्थन में सुलेमान जी बोल पड़े थे . “जिस ने देश को आजादी दी ….देश को उद्योग दिए ….और देश को ….और देश को ….”

तालियाँ बजीं थीं ….और बजती ही रहीं थीं ….!

“और इन के मुकाबले में …आएगा …मोदी …?” गुल्लू जी उठ खड़े हुए थे . उन की खरखरी आवाज़ ने एक अलग ही माहौल बना दिया था . “क्या है – ये मोदी ….?” उन्होंने प्रश्न पूछा था . “है – क्या मोदी …..?” वो गरजे थे . लोग इन की बातें बड़े ही ध्यान से सुन रहे थे . “मैं बताता हूँ कि …मोदी क्या है …!” उन्होंने अपने कुरते की बाँहें समैटी थीं . “मोदी …महा-मक्कार है !” उन का पहला ही तीर था . वो रुके थे . तालियाँ बजीं थीं . “मोदी – मतलब कि ….चालबाज़ !” लोग हँसे थे . “मोदी – मतलब कि …एक यतीम !” उन का स्वर उभरा था . “और …हमारे …राहुल जी ….?” उन्होंने राहुल का नाम बड़े ही दुलार के साथ लिया था . “प्रिंस ….!!” उन का कहना था . “जैसे कि ….पंडित नेहरू जी थे ….जिन के कपडे भी बिलायत से धुल कर आते थे …? वो लंदन में रह कर पढ़े थे ….और ….”

बहुत देर तक तालियाँ बजतीं रहीं थीं ! सब ने सराहा था – गुल्लू जी को !

“मोदी मैदान में कूदेगा …तो जीत भी सकता है ….?” वरिष्ट पत्रकार पीयूश जी बोल रहे थे .

हर आँख ने इस आदमी को एक दुश्मन की तरह देखा था ! हर आदमी जैसे पूछ रहा था – आप से मतलब ….? रंग में भंग डालने का …इन का मतलब क्या था …किसी की समझ में न आ रहा था …?

“खुला आकाश है – राजनीति का अखाड़ा ! अपने-अपने दाव-पेंच …सभी ने लगाने हैं !” पीयूष जी फिर से बोले थे . “लेकिन हम कहें कि …वो ही दाव खेलें …जिस में – जीत ….जीत …और जीत ही हो ….?’ उन का सुझाव आया था . “हम हारे नहीं हैं …? हम मोदी की दुम दबा कर चल रहे हैं !” उन का कहना था . लेकिन लोग इस पहेली बने आदमी को समझ न पा रहे थे ? “चौदह की चाल ….!!” पीयूस जी फिर बोले थे . “ऐसी चाल …जहाँ …चित भी मेरी …और पट भी …मेरी …अंटा मेरे बाबा का …?” कह कर वो जोरों से हँसे थे .

“कह क्या रहे हो, भाई …?” पत्रकारों के खेमें से ही प्रश्न आया था .

“ये भाई कि ….अगर मोदी अखाड़े में ही न उतरें ….तो ….?” पीयूष जी ने एक घोषणा जैसी की थी . “नहीं आएगा …इन का नाम पी एम् के लिए ….” उन्होंने ताल ठोक कर कहा था . “हमने …वो पत्ता …फेंका है …जो आर-पार करेगा ….? लो ! पढ़ लेना हमारा ये लेख …और पढ़ लेना …अडवानी जी का दिया -साक्षात्कार ….?” वह बता रहे थे . “अरे…! ये …लौह-पुरुष हैं ! भारतीय जनता पार्टी के जनक हैं …रीढ़ की हड्डी हैं ..!! इन्हीं के दम पर पार्टी यहाँ तक पहुंची है …? इन की नीतियों पर चल कर पार्टी ने नाम कमाया है …? इन की यात्रा …बाबरी मस्जिद से ले कर …दो से …चौरासी सीट तक …पार्टी को खीच कर लाई है …”

“पागल हो गए हो ….क्या ….?” किसी ने रोष में पूछा था .

“नहीं ! पागल मैं नहीं …अडवानी जी हो गए हैं ….मोदी का नाम सुन कर ….? अब वो मोदी का नाम ही न आने देंगे ….कभी भी न आने देंगे ….किसी कीमत अपर भी …..”

“क्या वो स्वयं चुनाव में उतरेंगे …? क्या उन के लोग ….?”

“क्यों नहीं …?”

“जनता ने उन्हें पिछले चुनाव में …वोट कहाँ दिया था …?”

“इसलिए कि …मोदी ने ‘गोधरा’ काण्ड कर दिया था …? और अटल जी भी तो इसी ‘गोधरा’ की वजह से हारे …? फिर भी मोदी का नाम आगे आया तो ….बी जे पी …समाप्त …!! हा हा हा ….” हँसते ही रहे थे – पीयूष जी .

एक सन्नाटा छा गया था ! पीयूष जी कह रहे थे – पर किसी को कुछ समझ न आ रहा था …? अडवानी जी का नाम फिर से पार्टी पी एम् के लिए भेजेगी – कुछ जम न रहा था …?

“वो पार्टी के भीष्म हैं !” पीयूष जी फिर से बोले थे . “उन का कहा टलेगा नहीं ….?” उन की घोषणा थी .

कहीं निराशा की अंधियारी में एक आकाश किरण का आगमन हुआ लगा था …? अगर अडवानी जी अड़ गए …तब मोदी को सीट मिलना …मुनासिब न था …? अटल जी भी मोदी से ज्यादा खुश न थे …? वह भी मानते थे कि …उन की हार का कारन भी ‘गोधरा’ ही था …? उन का दिया नारा ‘इण्डिया शाईनिंग’ तो …तो देश पर छा ही गया था …? उन का नाम और काम तो सराहनीय ही था …? उन की छवि तो एक महान पुरुष …और एक युग-पुरुष की थी …? और उन के हारने का कारण ….

“लोग तो आज भी मानते हैं कि …अगर अटल जी २००४ का चुनाव जीत जाते …तो पाकिस्तान के साथ …हिन्दुस्तान की सुलह …हो जाती …? एक नए युग का आरंभ हो जाता ….? बट ….फॉर …’मोदी’ …..बट ….फॉर …’गोधरा’ ….?????

“और अगर अडवानी जी आए ….तो अटल जी भी विरोध न करेंगे …?” पीयूष जी बता रहे थे . “दोनों ने मिल कर पार्टी को बनाया है …बसाया है …और दोनों ने मिल कर …..”

“फिर भी अगर मोदी का नाम आया तो …..?”

“पार्टी टूट जाएगी ….? सारे -के -सारे …अडवानी जी के समर्थक …पार्टी छोड़ देंगे …! और तो और …मोदी का नाम आते ही …सारी बी जे पी की समर्थक पार्टियाँ …छोड़ कर भाग जाएंगी …! नितीश जी ने तो पहले ही ऐलान कर दिया है ….शरद यादव बोल पड़े हैं ….और अब साक्षी भी भाग खड़े होंगे …..?” हंस रहे थे , पीयूष जी .

“और …अडवानी जी आए ….तो …?” एक बहस आरंभ हो गई थी .

“बी जे पी हार जाएगी ….!! आर एस एस काम न करेगी ….? लोग अडवानी जी को चाहते नहीं ….! टांय -टांय ….फिस्स …..? पीयूष जी ने ठहाका लगाया था !

अब हर आँख के सामने हारती ….भागती …..और परास्त …बी जे पी …की छवि आ कर …ठहर गई थी ! एक उल्लास उमड़ पड़ा था . पल भर पहले पागल लगने वाले पीयूष जी अब ….सब की आँख के तारे थे …? जो पूरा जहांन मिल कर न कर पाया था …वो पीयूष जी ने कर दिखाया था – अकेले हाथों ….????

“मित्रो ! पीयूष जी फिर से बोले थे . “मैं कच्ची गोलियां नहीं खेलता ….!” वह बता रहे थे . “मैं जानता हूँ …कि …भावनात्मक प्रतिक्रिया ….का मोल ….और तोल ….कितना होता है …? मैं यह भी जानता हूँ …कि …अगर मौके पर तीर न छूटा ….या तीर ठिकाने पर न लगा ….तो सारा मज़ा मिटटी हो जाता है …?” वो तनिक मुस्कराए भर थे . “ये देखिए ….!” उन्होंने एक पत्र अपने पर्स से बाहर खींचा था . “ये है – अडवानी जी का पहला पत्र …..या कहें – पहला तीर …? या इसे नाम दें – पहला वार …हमला …जो हो चुका है ….? उन्होंने ये पत्र बी जे पी के पार्टी अध्यक्ष – राजनाथ सिंह को लिखा है !” पीयूष जी ने पत्र को हवा में लहराया था .

“लिखा …है – अध्यक्ष जी ! मैं …देख रहा हूँ कि ….आज-कल …पार्टी के रंग-ढंग ….तौर -तरीके ….ठीक नहीं हैं ! चुनाव सर पर आ रहे हैं ….और आप न जाने कौनसी निद्रा में सोये पड़े हैं …? हम चुनाव हार जाएंगे, मित्र ! चुनावों के लिए …पदाधिकारियों के नाम …नियुक्त करें …जिम्मेदारियां बाँटें …और पार्टी की गति-विधियाँ तेज करें …? वक्त है कहाँ – हमारे पास ….?”

“इस पत्र में …छुपा एक ही आदेश है – कि …बिना विलम्ब के …उन का नाम …पी एम् की पोस्ट के लिए ….भेजा जाए …?” पीयूष जी हंस रहे थे .

वास्तव में ही ये एक करिश्मा था – जो होने जा रहा था …….?????

“मौत है – ये बी जे पी की …..?” जमा लोगों ने भी मान लिया था . “राजनाथ जी की क्या हिम्मत जो अडवानी जी के पत्र की अवहेलना करें ….?” सीधा एक अनुमान था ….जो सामने आ गया था . “मोदी का कद था -कितना ….? गुजरात का सी एम् ही तो था ….?”

“शिवराज सिंह चौहान भी …मोदी को नहीं चाहते ….?” किसी ने सूचना दी थी . “वह तो किसी भी कीमत पर ….मोदी को …..”

उल्लास का विषय था !! आतंक की तरह कांग्रेसियों के दिमागों पर छाया -मोदी , न जाने कैसे …इन आशावान पलों में ….ओस की बूँदें बन-बन कर पिघल रहा था ….नीचे गिर रहा था – ट-प …..ट-प …..ट-प ….!!

लगा था – कांग्रेस पार्टी पर आया …भारी संकट टल गया था …..!!!!

“अब तो आपस में ही लड़ मरेंगे …..???” गुल्लू भाई जी ने ठहाका लगाते हुए कहा था . “में तो चाहता हूँ,भाई जी कि ….किसी तरह …ये मोदी ….”

“मुश्किलों से …मरेगा ….?” एक चेतावानी आई थी . “मैं इसे जानता हूँ ! और मैं आर एस एस को भी जानता हूँ !!” उस ने फिर से कहा था . “ये सारे -के-सारे ….मणिधर -साँपों जैसे हैं …., पीयूष जी ! उजाला इन के साथ-साथ चलता है ! और न जाने किस मिटटी के बने हैं , मेरे यार …? ये हारते ही नहीं ….?”

उस आदमी की आँखें अचानक ही चमकने लगीं थीं …..!!

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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