राम चरन को अचानक हैदराबाद आया देख सज्जाद मियां सकते में आ गया था।
राम चरन के माथे पर जो चिंता रेखाएं खिची थीं वो इस बात का गवाह थीं कि जरूर कुछ न कुछ ऐसा वैसा हो गया था। सज्जाद मियां भी डर गए थे। बड़ा ही नाजुक वक्त चल रहा था। और कुछ तो था जरूर जो राम चरन को बेचैन किए था।
“कैसे संभालोगे सज्जाद मियां ..?” राम चरन सीधा मुद्दे पर आ गया था। “हैदराबाद में होने वाले बैटल द – रॉयल को कौन संभालेगा?” वह पूछ रहा था। “एक ओर तो एस एस की डेट – 9 दिसंबर रात दो बजे की निकली है, तो दूसरी ओर सुमेद का महा सम्मेलन – हिन्दू राष्ट्र का स्थापना दिवस आठ दिसंबर दिन के दो बजे का तय है। सम्मेलन ऑल इंडिया के क्रांति वीर, कर्म वीर और युवाओं-युवतियों, आचार्यों और प्रचारकों का है।” राम चरन ने सज्जाद मियां को सीधा आंखों में घूरा था। “क्लैश। ए बिग क्लैश। कैसे करोगे मियां सज्जाद इस मुसीबत का मुकाबला?” राम चरन पूछ रहा था।
सज्जाद मियां भी सकते में आ गए थे।
“एक मुबारक मौका मानें आप इसे जनाब।” लंबे सोच विचार के बाद सज्जाद मियां बोले थे। “ज्यादा से ज्यादा तादाद में आएंगे काफिर हैदराबाद, आठ दिसंबर को दो बजे होने वाले सम्मेलन में भाग लेने। आने के बाद ये बाहर नहीं जा पाएंगे। मुसकुराए थे सज्जाद मियां। “हैदराबाद के बाहर जाने के सब रास्ते बंद कर दिए जाएंगे।” सज्जाद मियां ने एक ऐलान जैसा किया था।
राम चरन के कान खड़े हो गए थे। सज्जाद मियां की सलाह में दम था।
“और फिर?” राम चरन ने अगला प्रश्न भी पूछ लिया था।
“हमारे हाथ में अब कंगन और आरसी दोनों लग जाएंगे।” मुसकुरा रहा था सज्जाद।
“और फिर ..?” राम चरन भी अब सजग था।
“जब रात के दो बजेंगे तो एस एस का इस्लामिक बम फटेगा और हम इन तमाम काफिरों को कत्ल कर देंगे। हम इन्हें बे मौत मारेंगे, कोहराम मचाएंगे और हैदराबाद की सर जमीं को काफिरों के खून से लाल रंग देंगे।”
“गुड। वैरी गुड।” अब राम चरन महा प्रसन्न था। “मान गए सज्जाद मियां आप को।” उसने प्रशंसा की थी सज्जाद की।
अब राम चरन का दिमाग भी घूम गया था।
“सम्मेलन में भाग लेने पंडित कमल किशोर, पत्नी राजेश्वरी और आचार्य प्रहलाद तो होंगे ही जरूर। तभी रात के दो बजे से पहले – से एक बजे चारों को अरैस्ट कर लिया जाएगा – निजाम पैलेस की काल कोठरियों में। फिर अगला काम आरंभ होगा।”
जंजीरों में जकड़े गुनहगार सुमेद को संघमित्रा के सामने लाकर खड़ा किया जाएगा। रजाकार नंगी तलवार सुमेद के गले पर रख देगा।
इस्लाम कबूल है – बेगम मेहरूनिसा?” मौलवी पूछेगा और तब संघमित्रा अगर ना नूकर करेगी तो रजाकार पूछेगा – कर दूं इसकी गर्दन कलम? और जब संघमित्रा रो-रो कर कहेगी – कबूल, कबूल, कबूल तो फिर मौलवी दूसरा प्रश्न पूछेगा – बेगम मेहरूनिसा क्या तुम्हें मियां मुनीर खान जलाल के साथ निकाह कबूल है? संघमित्रा चुप रहेगी तो फिर रजाकार प्रश्न करेगा – कर दूं इस का सर कलम? जब संघमित्रा कहेगी – कबूल है, कबूल है, कबूल है।
और उसके बाद इन बचे चारों को कत्ल कर महल की छत पर फेंक दिया जाएगा, गिद्धों के खाने के लिए, ताकि हिन्दुओं का अंत आ जाए।
“सज्जाद मियां। निजाम के दौलत खाने को सजा वजा लीजिए।” राम चरन निवेदन कर रहा था। “हम सल्तनत कायम होने तक यहीं रहेंगे।” उसने अपना इरादा व्यक्त किया था।
“बहुत खूब जनाब।” सज्जाद मियां खुश थे। “मैं भी यही पूछना चाहता था कि आप का दौलत खाना ..?”
“जन्नते जहां बनने में वक्त लग जाएगा, सज्जाद मियां।” राम चरन बताना तो चाहता था लेकिन चुप ही बना रहा था।
पहला मोर्चा फतह हो गया था। राम चरन ने संतोष की सांस ली थी।
मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड