by Major Krapal Verma | Dec 11, 2024 | रजिया
“अगर सोफी ने इस बार मेरी बात नहीं मानी अंकल तो ..!” राबर्ट कह रहा था। उस का चेहरा बुझ सा गया था। आंखों में घोर निराशा थी। “तो .. तो .. मैं मर जाऊंगा अंकल!” वह रुआंसा हो आया था। “और .. और मैं यह लिख कर मरूंगा कि मेरी मौत की जिम्मेदार सोफी...
by Major Krapal Verma | Dec 7, 2024 | रजिया
“माइक ..! माइक ..! माइक ..!” कहकर मैंने जाेराें से टेबुल पर मुक्के मारे हैं। क्राेध का एक सागर मेरे हिये में हिलाेरें ले रहा है। एक निराशा है जाे मुझे इस सागर में डुबाेए दे रही है। एक ग्लानि है – असफल हाे जाने की ग्लानि, जाे मेरा गला घाेंट देना चाहती...
by Major Krapal Verma | Dec 5, 2024 | रजिया
मैं फिर से एक खयाल के साथ लाैट आई हूॅं। जालिम का नशा फिर से मेरे दिमाग पर तारी है। “पागल हाे जाऒगी इस जालिम का पीछा करते-करते।” राॅबर्ट मुझे काेस रहा है। “यह भी काेई सनक हुई यार?” वह मेरी आंखाें में देखता है। “लाेगाें काे प्यार में पागल...