राम चरन भाग एक सौ छत्तीस

राम चरन भाग एक सौ छत्तीस

“सेना में सारा जीवन तुम्हारे साथ बिताया फ्रामी लेकिन इतना दिलदार आदमी मैंने आज तक नहीं देखा।” नाश्ते की तैयारियों में जुटी रोजी बड़े ही सहज अंदाज में अपनी प्रसन्नता का बयान कर रही थी। “दिस मैन – राम चरन इज हैल ऑफ ए चैप।” उन्होंने समर्थन...
राम चरन भाग एक सौ छत्तीस

राम चरन भाग एक सौ पैंतीस

भूली याद की तरह अचानक ही राम चरन को जनरल फ्रामरोज की याद हो आई थी। अच्छा चल पड़ा था जनरल फ्रामरोज। वह हिन्दू न था। वह हिन्दुओं से ज्यादा खुश भी न था। उसकी बेटी ने किसी जर्मन से शादी की थी। सेना के साथ उसका रसूख अच्छा था। हैप्पी गो लक्की जनरल फ्रामरोज उसे एक अमूल्य...
राम चरन भाग एक सौ छत्तीस

राम चरन भाग एक सौ चौंतीस

एक सप्ताह से रह रहा था राम चरन हैदराबाद में लेकिन अभी भी उसका मन न भरा था। दिल्ली उसे याद ही न आई थी। दिल्ली को तो उसने दिमाग से कब का कब्रगाह में बदल दिया था। उसने निर्णय ले लिया था कि दिल्ली को एशियाटिक अंपायर की मक्का मदीना बनाएगा। सारे के सारे दुनिया भर के...