by Major Krapal Verma | Oct 9, 2024 | रजिया
“कुछ उखड़ी हुई हो ..?” लैरी ने मुझे आते ही पूछा है। “हां! रॉबर्ट से झगड़ा हुआ है। झूठ बोलना मुझे बुरा लगता है।” “क्यों?” लैरी हंस रहा है। “ही इज सच ए डीसेंट बॉय!” “गोआ जाने की जिद को लेकर बैठ गया है।” मैं...
by Major Krapal Verma | Oct 8, 2024 | रजिया
कयास लगाया जा रहा है कि चंगेज खां से भी चौगुना है यह जालिम। यूरोप पूरा डरा हुआ है। कब कहां बम विस्फोट हो जाए – कौन जाने। गिरजा घरों में बैठे लोग परमात्मा की पूजा तक नहीं कर पा रहे हैं। व्यापारी वर्ग बुरी तरह से डर गया है। सरकारें भी तिनके तरह कांप रही हैं।...
by Major Krapal Verma | Oct 7, 2024 | रजिया
“जालिम ..?” लैरी ने पुकारा है तो मैं अपनी डैस्क से उछल पड़ती हूँ। “पूरा नहीं हुआ हुलिया?” वह पूछ रहा है। रात का एक बजा है। पूरा अमरीका सो रहा है। लेकिन हमारा रतजगा चल रहा है। जालिम को लेकर हम कितने भयभीत हैं – कोई हम से पूछे। “कुछ...