कविता –
एक अद्वितीय लफंगे की कहानी –
जो करता था , मनमानी ,जल्लाद था – मेरी रानी।
और ये है -नमक हराम ,ये देखो दगाबाज, धेाखे बाज ।
करते हैं -काले धंधे , ये हमारे वंदे- न कि महरवानी ।
ये हॉरर, ये नफरत और ये रही नादानी -ना-कामी ।
नर-संहार की बात करें – जहॉ न दे कोई पानी ।
अब तुम देख-देख कर रोलो -है कितनी हैरानी ।
फिल्में तो अब यही बनेंगी – तुम चाहे मर जाओ —
मर्दानी ।।।
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कृपाल .