“पंडित जी! क्या आप जानते हैं कि हम किस हाल में मरेंगे और कब मरेंगे?” बादशाह इस्लाम शाह सूरी ने एक अजीब प्रश्न पूछ लिया था। उन्होंने मशविरा के लिए पंडित जी को बुलाया था। लेकिन पंडित हेम चंद्र इस तरह के प्रश्न की उम्मीद लगा कर नहीं आये थे।

“आप तो अमर रहेंगे शहंशाह!” ठेठ दरबारी लहजे में पंडित हेम चंद्र ने उत्तर दिया था। अब वह हंस रहे थे। उन्होंने शहंशाह के चेहरे पर खेलते सारे खतरों को गिन लिया था।

“इसलिए कह रहे हैं आप कि आप जानते नहीं कि हमारी जान के कितने सौदागर हैं?” इस्लाम शाह सूरी भी हंसा था। “हमारे ही अपने, हमारे ही वंशज और हमारे ही भाई भतीजे और चाचे मामे हमें हलाक कर साम्राज्य लूट लेना चाहते हैं।” इस्लाम शाह ने पलट कर हेमू की आंखों में देखा था। “हमारा भाई आदिल तो अलग, इस पंजाब के हैबत खान और नियाजी अजीम हुमायू को देखो!” आश्चर्य था इस्लाम शाह सूरी की आंखों में।

“ये खबस खान से मिला हुआ है।” हेमू ने स्पष्ट किया था। “यहां तक कि काबुल में मिर्जा कैमरान से भी इसकी साठ गांठ चल रही है।”

“और तो और हमारे खासम-खास कुतुब खान और जलाल खान भी हमें जलील करने में लगे हैं। कहते हैं कि उनके दादा-परदादाओं ने भी जानें दी थीं। वो बहलोल लोधी के साथ हिन्दुस्तान आये थे और ..” इस्लाम शाह सूरी ने फिर से हेमू से राय मांगी थी।

“सारे अफगानों का एक ही मत है!” हेमू ने सूचना दी थी। “सारे एक जुट होकर अब साम्राज्य का बंटवारा चाहते हैं। इन्हें मुगल सहारा दे रहे हैं। तुर्क, पठान और कबाईली भी षड्यंत्र में शामिल हैं।” बता कर हेमू चुप हो गया था।

और एक चुप्पी थी जो लंबे पलों तक उन दोनों के दरमियान बैठी रही थी।

“खैर खान और नाजी ने तो हमें कत्ल करने की ठान ली है!” डरते डरते कहा था इस्लाम शाह सूरी ने। “क्या करें इनका?” हेमू से पूछ रहे थे इस्लाम शाह।

“सजाए मौत!” हेमू ने गंभीर स्वर में कहा था। “आप को कुछ ऐसा तो करना ही होगा जो एक खौफ इन लोगों तक पहुंचे।” राय थी हेमू की। “एक खौफ से ही बहुत सारे डर घर चले जाएंगे! वरना तो ..!”

“लेकिन कितनों को घर भेजेंगे आप?” जोरों से हंसा था इस्लाम शाह। “पंडित जी सुजात खान – हमारा जिगरी भी हमारी जान लेने पर तुला है। ये तो हमारे गुरु का बेटा है और ये तो हमारे साथ ..”

“सियासत के संबंध अलहदा होते हैं शहंशाह!” हेमू का स्वर गंभीर था। “किसी तरह की कमजोरी भी घातक सिद्ध होती है। जो दुश्मनी करना चाहता है फिर वो दोस्त कैसा?”

“और ये कश्मीर के मिर्जा हैदर ..?” फिर से तीखा प्रश्न था शहंशाह का।

“इनके साथ सुलह संभव है।” हेमू ने कहा था। “मुझे इनकी तो उम्मीद है कि ये आप से सुलह करेंगे और आपकी मदद भी करेंगे।”

“सुलहनामा करेंगे ..?”

“जी जनाब! मैं हर कीमत पर इसे मुमकिन करा दूंगा!” हेमू ने जिम्मेदारी ली थी। “मेरे पास उनके प्रस्ताव हैं, तभी तो मैं आपको ..”

“और क्या क्या करेंगे आप?” इस्लाम शाह सूरी ने अब सीधा हेमू की आंखों में झांका था।

“मुझे सब से ज्यादा तो मुगलों और मंगोलों की चिंता है, जनाब!” हेमू ने एक सोच के साथ उत्तर दिया था। “आपको भी खबर तो होगी कि कैमरान – हुमायू का बड़ा भाई दिल्ली को कानी आंख से देख रहा है। बड़ा ही लालची है। हुमायू को भगाने में इसी का हाथ है जनाब!”

“और मंगोल?” मुड़कर पूछा था इस्लाम शाह ने।

“मंसूबे इनके भी हिन्दुस्तान को फतह करने के हैं और अब ये भी पता चल रहा है कि दिल्ली कभी भी लुट सकती है!” हेमू बताने लग रहा था।

“तो क्या दिल्ली लुट सकती है?” अहम प्रश्न पूछा था इस्लाम शाह ने।

“कभी नहीं! मेरे और आप के होते हुए दिल्ली नहीं लुटेगी। हम न हारेंगे! और आप का हर अरमान परवान चढ़ेगा जनाब!

इस्लाम शाह सूरी बहुत प्रसन्न हो गया था।

“क्या तैयारियां हैं आपकी?” सीधा प्रश्न पूछा था इस्लाम शाह ने।

“सर्व प्रथम तो आपकी सुरक्षा है।” हेमू का तुरंत उत्तर आया था। “इसके लिए 600 घुड़सवारों की सेना का गठन हो चुका है।” मुसकुराया था हेमू। “ये घुड़सवार बला के जांबाज लड़ाके और पूर्ण प्रशिक्षित हैं। युद्ध के दौरान या शांति के खामोश पलों में इन्हीं की निगरानी में ही रहेंगे आप।”

“बहुत खूब!” इस्लाम शाह सूरी उछल पड़ा था। “ये तो हुई कोई बात!” उसने हेमू की प्रशंसा की थी। “हम भी तो यही सोच रहे थे पंडित जी! जान है तो जहान है।” वह हंसे थे। “आप को हमारी चिंता है इसके लिए हम आपके ..”

“आपके साम्राज्य की भी चिंता है शहंशाह!” बात काटी थी हेमू ने। “खबरदारी भी हम इस तरह की रक्खेंगे कि परिंदा तक पैर न मारे। कहीं भी कोई भी घटना हो आप को सूचना मिलेगी। हमारे जासूसों का जाल हर कान की बात चुरा लाएगा और हमारे जांबाज सैनिकों का सामना करने से दुश्मन घबराएगा!”

“लेकिन वो कैसे पंडित जी?” इस्लाम शाह ने खुश खुश आवाज में पूछा था।

“मेरे लिहाज से तो हमें उठे हर विद्रोह के स्वर को शांत करना होगा!” हेमू बताने लगा था। “आज हर एक अफगान, मुगल, पठान और बलूची अपनी अपनी जागीरें बढ़ा कर सल्तनत कायम करने के इच्छुक हैं।” हंसे थे पंडित हेम चंद्र। “अब हर कोई सम्राट सूरी बनना चाहता है। इसलिए संघर्ष तो होगा, लड़ाइयां तो होंगी और बिना परास्त हुए मानेगा कौन?”

“तो ..?”

“मेरे विचार से तो आपको मुकाबले में आना ही होगा।”

“लेकिन वो कैसे?”

“आपके साथ जुझार सिंह आएगा! दूसरे होंगे राजा महेश दास और उनके साथ होगा रमैया! तीसरी टोली होगा महान सिंह की जो दिल्ली की सुरक्षा संभालेगी। जाहिर है कि हमें हर दिशा में, हर हाल में और हर मौके पर लड़ना होगा। तब जाकर विद्रोहियों का मनोबल टूटेगा और ..”

“लेकिन पंडित जी ..?”

“उसकी आप चिंता न करें। राजा टोडरमल हैं जो सारी व्यवस्था संभालेंगे! न आपको धन की चिंता करना होगी और न बल की। और हां! मेरे विचार से हमें मंगोल और मुगलों को रोकने के लिए रोहतास नगर जैसे और भी चार किले बनाने होंगे। ये राजा टोडरमल का विचार है क्योंकि इसके बाद हम अपने साम्राज्य को ..”

“विचार तो बुरा नहीं हैं पंडित जी। हमें खबरदार तो रहना है!” हामी भरी थी इस्लाम शाह ने। “सीमाओं पर चौकसी के लिए रहबर खान को जिम्मेदारी देंगे! वह एक भरोसे का सिपहसालार है और ..”

“लेकिन वो आपका वफादार नहीं है शहंशाह।” सीधी बात की थी हेमू ने। “हमारी कठिनाई तो यही है कि हर कोई वही चाहता है जो कैमरान चाहता है।” हंस गया था हेमू। “मैंने तो सोच लिया है कि हम सैनिक छावनियां पूरे साम्राज्य के लिए अलग अलग स्थान पर बनाएंगे। रेवाड़ी पर तोपों का कारखाना लगाएंगे और सिक्के भी यहीं बनेंगे। पुर्तगालियों का सहयोग हमें मिल जाएगा और हमारा व्यापार भी बढ़ जाएगा।” हेमू की राय थी।

इस्लाम शाह सूरी चुप थे। वो अब नई निगाहों से हेमू को देख रहे थे। कुछ समझना चाह रहे थे। शायद कोई शक था उन्हें। कहीं ऐसा तो न था कि पंडित ..?

“मेरा और कोई अभिप्राय नहीं होता जनाब! मैं सेवा के बदले कुछ नहीं लेता हूँ। मैं तो आपका सेवक हूँ।” हंस गया था हेमू। “मैंने तो कभी शहंशाह सूरी से भी कुछ नहीं मांगा!”

“लेकिन हम आपको आपकी सेवा के बदले औहदा देंगे पंडित जी!” इस्लाम शाह कह रहे थे। “आप हमारे मुख्य सलाहकार और व्यवस्थापक होंगे!” उनका कहना था। “आप दरोगा-ए-खास होंगे और आप ..” प्रसन्न था इस्लाम शाह सूरी।

“कलाकृति पसंद आई?” हेमू ने बात मोड़ दी थी।

“अरे हां! गजब है भाई तुम्हारी ये कलाकृति! क्या गाती है – मेघा रे .. मेघा रे! सच में हमारा तो दिल आ गया है ..”

“अपने नव रत्नों में नियुक्त कर लें इन्हें भी तन्ना शास्त्री के साथ।” हेमू ने सुझाव दिया था।

रंग तरंग का सा सुरीला वातावरण अचानक ही अबीर गुलाल की वर्षा जैसी करने लगा था।

मेजर कृपाल वर्मा

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