महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा .
भोर का तारा -नरेन्द्र मोदी !
उपन्यास -अंश :-
मीडिया मेरी मिटटी खराब करने पर तुला था !
अमित के जेल जाने के बाद मैं अब अकेला था ….बहुत अकेला ! लगा था -मेरा दाहिना हाथ नहीं था …मेरा दिमाग सो गया था …….मेरा मन उदास था …और …सच कहूं तो मैं डर भी गया था ! पुलिस पर मेरा कभी से विश्वास नहीं था …और जो लोग दिल्ली में बैठ कर गोटें खेल रहे थे …वो बहुत ज्यादा शक्तिशाली थे …अनुभवी थे …और अंतर राष्ट्रीय पहुँच वाले लोग थे ! अब उन्हें मोदी चाहिए था – जिन्दा …या मुर्दा ….?
हिटलर के प्रचार मंत्री -जोसफ गोएवल्स की तर्ज पर ही दिल्ली में बैठे मीडिया -मुग़लों ने …मुझे बदनाम करने का महा-मंत्र ढूंढ लिया था ! उन का मानना था कि अगर एक झूठ को – सौ बार सच बता कर बोला जाए …तो वह सच हो जाता है ! ये बात हिटलर ने खूब आज़मा कर देखी थी ….और उसे कामयाबी भी मिली थी ! इसी तर्ज पर ‘गोधरा काण्ड’ को झूठ की कसौटी पर कस कर सच बनाने का प्रयत्न जोर-शोर से चल रहा था . ‘गोधरा’ को मेरे लिए ही विशेष रूप से तैयार किया गया था ,’लाक्षा -गृह’ के रूप में …और मुझे ही इस में दाह -दफ्न होना था ! लेकिन विडम्बना देखिए कि मैं अभी तक जिन्दा था ….?
और आश्चर्य की बात ये थी कि अब ‘गोधरा’ का रूप -स्वरुप बिलकुल उल्टा हो गया था ! गोधरा अब अपने सर के बल खड़ा था !!
“नहीं जी ,नहीं ! किसी मुसलमान ने आग नहीं लगाई बोगी में ….!” प्रचार हो रहा था . “ये तो सब नरेन्द्र मोदी का खेल है ! ये स्वयं …कार सेवकों का ही कमाल है ! खुद की गलती से जले थे , ये लोग ! मुसलमानों के नाम तो इसे लिख दिया गया है !
“साजिश है ….साजिश ! ताकि मुसलमानों का सफाया कर दिया जाए ! ये सरकार नहीं चाहती कि यहाँ मुसलमान रहें …फलें-फूलें ….खाएं-कमाएं ….! इन्हें तो सब अपने लिए ही चाहिए ….? सब हिन्दूओं का होगा – यहाँ ! आज नहीं तो कल …मोदी तो कामयाब हो कर ही रहेगा ….? मुसलमानों को बचाएगा कौन …? केंद्र भी क्या कर रहा है …? मोदी तो खुला घूम रहा है …..”
“अमित शाह तो जेल में है …?”
“तो क्या हुआ …? मास्टर माईंड तो मोदी है ! हो सकता है …इस में भी उस की कोई चाल हो …? बाई गौड ! ये आदमी …आदमी नहीं …कोई जादूगर है ! जिसे भी छू लेता है …..वही इस का हो जाता है ! कुछ पागल ….मुसलमान भी तो …..”
“हाँ,हाँ ! इस हरामजादे रईस खान को देख लो ….? किस उस्तादी के साथ कोर्ट में बयान बदला है ….? अब कहता है – तीसता झूठी है ….पैसे खाती है ….मिली हुई है …”
हाँ,हाँ ! सच में सब मुसलमान बुरे नहीं है ! सब बिकाऊ भी नहीं हैं . सब के सब साज़िश में शामिल भी नहीं हैं ! और जिनके साथ मेरे रसूक हैं …वो मुझे जानते हैं ….पहचानते हैं …और समझते हैं कि मैं …किसी का बुरा तो करता ही नहीं ! मैं खुशहाली की बात करता हूँ ….मैं ….”
“क्या खुशहाली की बात करता है ? पैसे ऐंठता है ….मोटे पैसे …” वही प्रोपेगेंडा चल पड़ता . हिटलर का मंत्री बोलता है . “सेठों से पैसा आता है ! उन्हें ज़मीनें मुफ्त बांटता है ….! सारा का सारा बनियान समाज बिकाऊ है ! कहाँ का शरीफ है , ये …?”
और अब दिल्ली के लोगों का भी कमाल देखिए !
एक हैं , मिस्टर सुधीर चौधरी ! ये जी टी वि के सम्पादक हैं . इन के साथ टाईम्स ऑफ़ इण्डिया ग्रुप है ! इन का एक धडा है …जिस में सारे पहुँच वाले लोग शामिल हैं ! इन्होने गोधरा काण्ड के बाद ..हुए -गुलबर्गा सोसाईटी काण्ड के बारे में मेरे साथ साक्षात्कार किया था . मैंने कहा – मैं मानता हूँ कि …ये काण्ड एक भयंकर नर-संहार था …लेकिन जो हुआ था वो इतना चौंकाने वाला था कि …मैं खुद भी हैरान था …कि …’ये सब हुआ कैसे ?’
जाहिर ये है कि इस काण्ड को भी रचा गया था !
कांग्रेसियों ने मुसलमानों के साथ मिल कर …विदेशियों के इशारे पर …इस काण्ड को रचा था ! इस में जो मौतें हुईं …वो भी तयशुदा थीं ! एहसान जाफरी – जो स्वयं एक कांग्रेसी नेता थे ….इस कांड में जला कर मार दिए गए थे ! एक तीर से दो निशाने साधे गए थे ….! एहसान जाफरी से अदावट निकाली गई ….और उन्हें मौत के घाट उतार कर ….लाश को मेरे गले में लटका दिया गया …!!
अब देखिए टी वी के सम्पादक सुधीर चौधरी का कमाल !
गुलबर्गा सोसाईटी में हुई ५० आदमियों की मौत पर मुझे सुधीर चौधरी साल पूछ रहे थे ! पूरा देश-विदेश मेरा ये साक्षात्कार टी वी पर आँखें गढ़ाए-गढ़ाए देख रहे थे ! मैं एक तरह से तो एक अभियुक्त बना कठघरे में खड़ा था …जैसे की इस घटना का सारा दोष मेरा था …और मरनेवाला एहसान जाफरी एक शहीद था ….एक बे-जोड़ इंसान था …और बाकी मरनेवाले लोग भी मुझे माफ़ करनेवाले नहीं थे !
“आप ने दंगा रोकने के लिए क्या-क्या किया …?” सुधीर चौधरी पूछ रहे थे .
“मैंने दंगा रोकने के लिए वो सब उपाय किए ….जो एक चीफ मिनिस्टर कर सकता था ! यहाँ तक कि मैंने …बहत्तर घंटों की …दिन-रात की दौड़-भाग के बाद …सिचुएशन पर काबू कर लिया !”
“फिर भी गुलबर्गा सोसाईटी ….स्वाहा हो गई ….?” ये सुधीर चौधरी का व्यंग था . “एहसान जाफरी को जला कर मार दिया …! क्यों ….?”
“एहसान जाफरी ने भीड़ पर गोली चलाई थी ….!” मैंने अपनी जानकारी उन्हें दी .
“तो …..???” उन्होंने मुझे चुनौती दी .
“तो ….भीड़ ने भी हल्ला बोल दिया ….!” मैं बता रहा था . “ये सिम्पली ….एक एक्शन के बाद हुआ रिएक्शन था …! माने कि क्रिया के बाद हुई एक …प्रतिक्रिया ….?” मेरा सुझाव था .
“वाह ! आपने तो इसे एक साइंटिफिक नाम दे दिया ….?” सुधीर चौधरी ने बात को पकड़ कर उमेंठ दिया था . “यूं …मीन …न्यूटन की थ्योरी ….एक्शन एंड रिएक्शन ….?”
“देखिए …! हम कोशिश कर रहे हैं कि …हम इस …होती क्रिया और प्रतिक्रिया की चैन को रोक दें …ताकि न क्रिया हो ….और न ही प्रतिक्रिया ….!” मैंने अपने सुझाव को सही ठहराने का प्रयास किया था .
“तो आप का कहना है कि ….क्रिया की प्रतिक्रिया होना तो ….स्वाभाविक है ….? यह तो एक निश्चित नियम है ….?”
“मैं …मैं …यह नहीं कह रहा हूँ …..! मैं कह रहा हूँ ….कि ….”
लेकिन उन का तो खेल आरंभ …! मेरी बात को धूल में मिला कर ….सुधीर चौधरी ने अपने ही मतानुसार एक अजब-गजब बात गढ़ ली ! उन्होंने जी टी वी पर खुल कर प्रचार किया कि मैं …गुजरात का चीफ मिनिस्टर …नरेन्द्र मोदी ….गोधरा काण्ड को ‘क्रिया’ और होते दंगो को ‘प्रतिक्रिया’ बता कर …मुसलमानों को …सरेआम मरवा रहा था ! गुजरात में दंगे भड़क रहे हैं ….और …..लोग मर रहे हैं ….और ……
और जो मैंने अपनी बात कही थी …उसे उन्होंने मिटटी में मिला दिया था . जो रात-दिन एक कर मैंने दंगे रोके …लोगों के आंसू पौंछे …उन को सारी सहूलियतें मोहिया कराईं …केम्प लगाए …और उन के मनों में एक विश्वास पैदा किया …व्यर्थ गया ! विडम्बना ये कि मेरे इन प्रयासों और प्रयत्नों को किसी ने भी नहीं सराहा …?
उलटे टाईम्स ऑफ़ इण्डिया ग्रुप ने मेरे कथन ‘क्रिया और प्रतिक्रिया’ को ले कर सुर्ख़ियों में छापा कि …गुजरात के मुख्या मंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं दंगे भड़काने में लगे हैं और इन दंगों को ‘गोधरा’ काण्ड की हुई प्रतिक्रिया बता रहे हैं !
यहाँ तक कि मैं और मेरे भेजे सन्देश …टी वी और मीडिया के लिए अप्रत्याशित थे ….और मेरा कहा सब झूठ था !
मुख्य मंत्री कार्यालय से दंगा नियंत्रण के लिए भेजे मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी के बयानों की …प्रेस ने अवहेलना की ! दूर दर्शन पर भेजी शांति के लिए अपील भी कूड़े दान में डाल दी ! पूरी की पूरी रिपोर्टिंग इक तरफा हुई ! जनता को दंगों का एक पक्ष दिखाया और लोगों को भड़काने का काम मीडिया ने किया !
अंग्रेजी अखबारों का सम्पादकीय पढ़ कर …लगता था – मानो इन्होने गुजरात राज्य के खिलाफ जेहाद छेड़ दी हो ! इस की पूरी की पूरी रिपोर्टिंग …कांग्रेस व् वामपंथी पार्टीयों के पक्ष में …और एन डी ए की सरकार के विपक्ष में हो रही थी ! वह ‘गोधरा’ और गुजरात के दंगों में लगातार फर्क करते हुए …लिख रहे थे ! और इन लेखों से प्रतीत हो रहा था कि …ये तथाकथित सेक्युलरिज्म के झंडा वरदारों के पक्ष में ….और हिन्दू संगठनों के खिलाफ थे !
और ये लोग ,हाँ,हाँ दिल्ली के लोग ….खुल कर कार सेवकों को अपनी मौत के लिए स्वयं जिम्मेदार बता रहे थे ! और तो और इस काण्ड के बाद गुजरात में भड़के दंगों को …लोग -राज्य प्रायोजित आतंकवाद करार दे रहे थे !
मैं अकेला ….मैं नरेन्द्र मोदी ….क्या करता ….? सारे झूठ सच हो-हो कर ….मेरे सामने खड़े थे ….और मुझे फांसी पर चढाने के लिए सबूत बनाते जा रहे थे ! ये मेरे अंत को मुझे लगातार दिखा कर …डरा रहे थे ….!!
“गाँधी जी को सज़ा क्यों हुई …?” मैं दादा जी से पूछ बैठा था . “उन का क्या दोष था …जो उन्हें दंड मिला …?” मैं रोष में था .
“देश-द्रोह का आरोप उन पर लगा था !” दादा जी ने उत्तर दिया था .
“क्यों ….?” मैं उद्विग्न था .
“चौरी-चौरा पुलिस काण्ड ही इस का उत्तर है , नरेन्द्र !” दादा जी कुछ सोच कर बोले थे . “चौरी-चौरा में हिंसा भड़की थी …? मौतें हुईं थीं ….और ….”
“और क्या ….?”
“और ये बेटे , कि …देश की नींद खुल गई थी ! गाँधी जी ने जन-मानस को फिर से जगा दिया था ! एक नई प्रेरणा लोगों के दिल-दिमाग में समां गई थी . लोगों ने अंग्रेजों की शैतान और उन की पिठू पुलिस को ‘हैवान’ मान लिया था ! कहीं ये सच भी था , नरेन्द्र ! पुलिस बहुत ही बे-रहमी से दमन-चक्र चला रही थी ! जिस तरह से लोगों को मारा-पीटा जा रहा था …यातनाएं दी जा रहीं थीं …डराया -धमकाया जा रहा था …और जेलों में भरा जा रहा था …इस का कोई जवाब न था …? और यही कारण था कि चौरी-चौरा में हिंसा भड़क उठी थी !”
“चौरी -चौरा ….?” मैं फिर से प्रश्न पूछ रहा था .
“उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास एक छोटा सा कस्बा है ! लोग प्रदर्शन कर रहे थे ….तो …पुलिस ने लाठी-चार्ज कर दिया ! पहले तो लोग लाठी देखते ही भाग लेते थे …पर इस बार भीड़ डट गई …जम गई …और …और …पुलिस पर पथराव होने लगा ! पुलिस ने गोली चलाई ! तीन लाशें …देखते-देखते ….ज़मीन पर पड़ीं थीं ! बे-गुनाहों का खून बह रहा था ? चीख-चिल्लाहटों से पूरा का पूरा माहौल भर गया था …!!”
“मारो, सालों को …..!!” भीड़ में शामिल नौजवान पुकार उठे थे ! “छोडो मत …इन गद्दारों को …!! ये साले अंग्रेजों के टुकड़ों पर पलते हैं …उन्हीं के पिट्ठू हैं ….पालतू हैं ….कुत्ते हैं ….!!”
“टूट पड़ो … देखते क्या हो ….? ये साले कल फिर हमें मारेंगे …..? आज ही हो जाए ….” कुछ जोशीले लोग आगे बढ़ रहे थे . फिर क्या था …? पुलिस के साथ जम कर जंग हुई ….! लोगों ने पहली बार अपनी आज़ादी की जंग लड़ी थी , नरेन्द्र !”
“नतीजा ….?” मैं चुप न था . मैं जैसे उस भीड़ के साथ था …और लड़ रहा था !!
“तीन लाशों के बदले २३ पुलिस के लोग मरे !” दादा जी ने हंस कर कहा था .
“ये तो हुई कोई बात ….!!” मैं अब तालियाँ बजाने की सोच रहा था . “मारा कैसे , दादा जी ….?”
“पुलिस चौकी में आग लगा दी थी ! उन्हें उसी में जिन्दा जलाया था ! किसी को भी भागने न दिया था . बहुर बड़ा …काण्ड बन गया था …ये , न रेन्द्र !”
“फिर क्या हुआ था , दादा जी ….?”
“वही …जो अंग्रेज करते थे ! नाटक …!! गिरफ्तारियां हुईं …! मुकद्दमे चले . १७२ लोगों को फांसी की सज़ा बुली …..और ….”
“लेकिन ….जब मुकद्दमा चला होगा ….तब ….?”
“रौलेट एक्ट लगा था ! किसी भी भारतीय को अपना बचाव करने का अधिकार ही न था ….?”
“दादागिरी थी , ये तो ….?”
“हाँ ! दादा गिरी तो थी ही ….? वरना …हम और हमारा देश गुनहगार कब थे …? गुनहगार तो गोर थे ! आक्रमणकारी थे ….और जुल्म ढा रहे थे ….!
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श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!