लोकतंत्र तो देश के लिए है!

लोकतंत्र तो देश के लिए है!

लोकतंत्र तो देश के लिए है!   राज नेताओं के लिए नहीं   एक पार्टी बना लो    उसके फिर कोई नियम नहीं   जो मन में आये वो करो!   चंदा लो, लोगों से, व्यापारियों से,   नौकरी करने वालों से,   सरकारी नौकरों को भी   उगाही का काम दो!   देश को बेच दो,  दूसरे देशों से भी चंदा लो, ...
मैं हिन्दी हूँ!

मैं हिन्दी हूँ!

तुम मरणासन्न थे – मैंने तुम्हें दूध पिलाया – जिलाया और बड़ा किया! तुम गुलाम थे – मैंने तुम्हें ज्ञान दिया – स्वतंत्र होने की प्रेरणा दी! तुम समर्थ हुए – मैंने तुम्हें संवाद दिये – तुमने तहलका मचाया – आजाद हुए! अब तुम प्रबुद्ध हो – मैं तुम्हें प्रज्ञा दूँगी – ताकि तुम...
पत्नी के नाम

पत्नी के नाम

कविता प्रिये तुम पीड़ा हो। आये दिन उत्पात – पड़ौसिन से चलते व्याघात। नजर की छैनी से – मरे कुछ वैंणी सेे। नशीली दवा,तम्बाकू के – पान का बीड़ा हो – प्रिये तुम पीड़ा हो।। प्रिये तुम झाड़ू हो। घर का सुपड़ा साफ – कर गई सखियों की बारात। मंहगाई...
पत्नी के नाम

अन्याय

कविता हर बात के विस्तार – बोर करते हैं। सांकेतिक शब्दाेें का जमाना है लेकिन – समस्याओंं के संसार न जाने क्याेें – रो देते हैंं? तुम गरीबी हटाओ – सौभाग्य देवता। हम भी गरीबोंं के साथ हैं – तुम जागती रहना – हमारी सस्कृति – हम...
शोर

शोर

कविता ओस पी कर दिन जागा है, उजालों से डर कर अंधेरा भागा हैै खामोशी पहरे पर खड़ी है, कोलाहल को दिन सौंपना बाकी है। धुंधलका आन धमका है,साथी अभी भोर होना तो बाकी है। मूंक काफिले बादलों के, रंग रूपहले में बदन बॉधे संघर्षों के साथ उठ चले हैंं, बरसने तक की नियति जीने को...
सीमा पार

सीमा पार

कविता मरेगे नहीं – मारेंगे । डरेंगे नहीं – डरायेंगे ।। मानते हैं – हमने शीश कटाये थे , उन्हों ने हम पर खूब जुल्म ढाये थे , ठीक है , तोड़े थे – उन्हों ने हमारे मन्दिर , याद आया – इन्हों ने हमारे ग्रन्थ जलाये थे , लेकिन अब नहीं –...