by Major Krapal Verma | May 28, 2017 | From The Books, Uncategorized
भोर का तारा ! युग पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !! उपन्यास अंश :- अखबार की सुर्ख़ियों में लिखा है :- “मोदी प्रेम की भाषा बोलते हैं …मोदी प्रैस की भाषा बोलते हैं … मोदी पब्लिक की भाषा बोलते हैं …! उन के शब्द-चयन का कमाल ये है …कि गोलिओं...
by Major Krapal Verma | May 10, 2017 | From The Books, Uncategorized
भोर का तारा ! युग पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा ! उपन्यास अंश :- तब मान्यताएं ही ऐसी थीं – कि उच्चकुल के कुलीन लोग ही समाज के आदर्श थे। उन से ही आशाएं की जाती थीं कि वो समाज के सामने उन सामर्थों के साथ आएं – जो आम आदमी से अलग थीं। आम आदमी …..को...
by Major Krapal Verma | Apr 16, 2017 | From The Books, Uncategorized
भोर का तारा युग पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा ! उपन्यास अंश :- बाबू जी को रिश्ता पसंद था. बाबू जी को लड़की पसंद थी. बाबू जी को आता दान – दहेज़ भी दिखाई दे गया था. घर के सभी सदस्य प्रसन्न थे. आस-पास में भी चर्चा थी – कि मेरी शादी खूब बढ़-चढ़ कर होनेवाली थी....
by Major Krapal Verma | Sep 20, 2016 | From The Books
साक्षी उपन्यास अंश :- “आसमान का अनंत स्वरुप अब मेरी आँखों के सामने था. मेरे बंकर का द्वार बंद कर खड़ा बर्फ का राक्षस तोप के गोले की मार से पानी-पानी हो, पिघला खड़ा था. युद्ध-भूमि की ओर मेरा मार्ग प्रशस्त करता मेरा ही कोई इष्ट अम्बर पर खिले इक्का-दुक्का सितारों पर...
by Verma Ashish | Apr 9, 2016 | From The Books
नरेन्द्र से इतना क्यूँ जुड़ना चाहतीं थीं वह ? क्यों चाहा उन्होंने उस से अपनी कोख से उपजे बेटे का सुख ? रात का शांत शहर उन्हें चिताओं से पटा शमशान लगता है | उन का दिमाग अब आकाश-पाताल तक खुल गया है | बाहर का सब तो बंद है लेकिन न जाने कैसे उन का भीतर टुकड़े-टुकड़े हो गया है...
by Verma Ashish | Apr 2, 2016 | From The Books
सुलभा और नरेन्द्र को एक दुसरे से प्यार हो जाता है | प्रेम की कोई उम्र नहीं होती | प्रेम की कोई जाती भी नहीं होती | प्रेम होने के लिए कोई विशेष स्थान भी दरकार नहीं होता | प्रेम होना तो एक ऐसी घटना है जो स्वयं में ही विचित्र है | इसके होने के लिए, घटने के लिए, पनपने के...