by Major Krapal Verma | Jul 14, 2023 | स्नेह यात्रा
“बाई द वे एक अहसान पूछ लूं – इजाजत हो तो?” नवीन ने एक चुभते बेगाने भाव को दो दोस्तों के बीच कटे बकरे की तरह उलटा लटका दिया है। मैं इस उलटे टंगे बकरे की कुर्बानी से एक कुंठा के साथ बंध गया हूँ। उसकी धमनियों से टिप-टिप बहता खून एक दोस्ती की आहूति पर...
by Major Krapal Verma | Jul 4, 2023 | स्नेह यात्रा
“आई एम सॉरी जेंटलमैन! आई हैव टू लीव!” कह कर मैं बिना किसी पाई अनुमति की परवाह किए सीढ़ियां अतर रहा हूँ। आते ही कार स्टार्ट की है। सीधा फैक्टरी पहुंचने का इरादा है। “चल कर क्या करोगे?” मैंने अपने आप से सवाल पूछा है। “कुछ तो करूंगा...
by Major Krapal Verma | Jul 3, 2023 | स्नेह यात्रा
“सुनो! साले सब नेता चोर हैं!” मैंने भभक कर कहा है। “वाह-वाह! क्या सच्चाई उगली है।” भट्ठा वाले ने ऊंचे स्वर में कहा है। “चोर-चोर को नहीं पहचानेगा तो क्या तेरी मां को मानेगा?” जकारिया ने ढीले पाजामे को दोनों टांगों के ऊपर खिसकाते हुए...
by Major Krapal Verma | Jul 2, 2023 | स्नेह यात्रा
“बड़ी देर लगा दी यार!” भट्ठा वाले ने हंस कर तहमत थोपी है – जो आज का आम रिवाज है। “सीधा चला आ रहा हूँ बे!” मैंने उसे कुनिहा कर सीधा कर लिया है। एक अट्टहास की हंसी में हम सब हंस पड़े हैं। लगा है एक के बल पर दूसरा मैदान के मैदान जीतता चला जा...
by Major Krapal Verma | Jun 29, 2023 | स्नेह यात्रा
“जेंटलमैन! मैंने फैसला कर लिया है कि पूरा स्टाफ डांगरी पहन कर चार पांच की शिफ्ट में काम करेगा। स्टाफ के साथ पचास पर सेंट मजदूर होंगे। ऑफिस का काम चार पांच घंटे से ज्यादा का नहीं होगा है।” मैंने अपना फैसला एक सजा जैसे रूप में प्रस्तुत किया है। मैंने कोई...
by Major Krapal Verma | Jun 27, 2023 | स्नेह यात्रा
क्यों नहीं लिखोगे इसका भी कारण मैं जानती हूँ। तुम जाते ही गोरख धंधे में फंंस गए होगे और भारत को अमेरिका बनाने के प्रयत्न में भूल गए होगे कि अमेरिका में कुछ पीछे छोड़ गए हो। जानना चाहते हो तो सुनो – दिल! जी हां ये हमारे पास गिरवी रक्खा है। सच दलीप मैं तो उस मनहूस...