स्नेह यात्रा भाग नौ खंड चार

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड चार

वेश बदल कर जाना। लुक छिप कर जाना। एक पल पांच हजार का चेक थमा गायब हो जाना। पर एक पल जरूर जाना वरना तू हार जाएगा। मेरे अंदर का वर्षों का पला दंभ मुझे एक जटिल भूमिका निभाने को कहता रहा है। चोरी गुपचुप नजरें बचा कर किया काम है। कोई समाज या गुट का विरोध या अन्य कोई इकला...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड चार

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड तीन

“बच्चों का क्या हाल है?” “दुआ है सरकार और .. अर ..” “बोलो-बोलो क्या बात है?” “सुलोचना की शादी पक्की हो गई है।” “सुलोचना ..?” “मेरी बड़ी बेटी सरकार! उस दिन ..!” “अरे हां-हां! उस दिन मैंने ही...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड चार

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दो

“सर!” “यस!” “आज का पेपर पढ़ा है?” “नहीं तो, क्यों?” “प्रेस ने इंस्पेक्टर राना की रिपोर्ट नमक मिर्च लगा कर छापी है!” “तो ..?” “सर, आप ने जो स्टेटमेंट दिया है – आई मीन गलती हो गई...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड चार

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड एक

“सर अब बात अपनी मुठ्ठी में है!” खुश होते हुए मुक्ति ने कहा है। “कैसे?” मैंने गंभीरता पूर्वक मुक्ति का मत जानना चाहा है। “हमारा पलड़ा भारी है। जीत को अब हमने खरीद लिया समझो और अगर जीत मुंह नहीं खोलेगा तो बाकी किसी में दम नहीं है।”...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड चार

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड पंद्रह

“कायर! अकर्मण्य! छलिया! क्या पा लिया तुमने जग का छोर? आ गया अंत तुम्हारी पहाड़ जैसी महत्वाकांक्षा का? हार गए हो न तुम? सोफी का साया है जो मुझे जलील कर रहा है। रुके कदम, टूटी आशा, घोर निराशा का अथाह समुद्र, अकेलापन और मिटने का भय – सभी को सोफी चीरती लगी है।...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड चार

स्नेह यात्रा भाग आठ खंड चौदह

“डाउन विद डांगरी!” “डाउन विद डिकटेटरशिप!” “सरमायादारी – हाय-हाय!” पाेस्टर और नारों के साथ सुबह ही जुलूस का समागम हुआ है। स्टाफ के कुल कर्मचारियों की आधी संख्या है। उसमें भी दो-चार को छोड़ सब अधेड़ उम्र के छोकरे हैं। मैं और...