स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दस

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दस

“अरे भइया! वही तो काम हो रहा है। खिलाफत वालों को लिस्ट बना कर बीन रहा है। कसम से भइया .. कसम से अपुन तो मर गए!” “ऐ! मेरा काम ..?” मैंने दोनों की सामर्थ्य को ललकारा है। “तेरा काम .. माने तेरा केस! भइया! तुझे तो और फांसेगा। देख लेना –...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दस

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड नौ

मैं बहुत हताश और अधीर हुआ जा रहा हूँ। सबसे ज्यादा अफसोस मुझे मानव के विकृत संबंधों और उसकी टुच्ची महत्वाकांक्षाओं के बनावों पर हो रही है। लगता है अब समाज या तो असलियत खो रहा है और या वर्षों से धर्म धारणा से बंधा आडंबर का छप्पर खिसका कर उसका असली रूप उघाड़ रहा है। हर...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दस

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड आठ

“तो काम कैसे चलता है?” “काम चलता है जूते से। सच मानिए जूते से पैसा डरता है। अब आप को ही ले लें – शराफत, ईमानदारी या यों लोगों के हित की सोचने से आप को क्या मिलता है?” “संतोष, मिस्टर राना!” “और अगर आपका खुद का नौकर आप के...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दस

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड सात

सुबह अथक सूरज को देख मैंने भी अपनी थकी टूटी सी हिम्मत बटोरी है और अपनी दिनचर्या पूरी करने को तैयार हुआ हूँ। पता नहीं कुछ अधकचरा सा एक बैर भाव मन में सिमिटता चला आ रहा है। कोई मेरे अंदर से ही कहे जा रहा है – हथियार उठाओ दलीप बुराई को बुराई कुचलती है। लेकिन सवाल...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दस

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड छह

वातावरण में एक अजीव आह्लाद भर गया है। औरतें भिन्न-भिन्न स्वरों में कोई सामूल सा गीत गाती जा रही हैं जिसका अर्थ लगाना मेरी बिसात के बाहर लगा है। ढोलक की गुमक अवश्य मन में एक गुम्माटा सा उठा रही है। पता नहीं क्यों ये गुमक हमेशा से मुझे अपने हृदय की धड़कन के बहुत समीप...
स्नेह यात्रा भाग नौ खंड दस

स्नेह यात्रा भाग नौ खंड पांच

“प्रलय तो नहीं आ रही?” मैंने इस तरह पूछा है जैसे मैं इंतजार में आंखें बिछाए बैठा हूँ। “आ भी जाए तो ताज्जुब नहीं सर! आई मीन ..” “आत्मीयता का अंधकार बढ़ रहा है, संस्कार गिर रहे हैं और ..” “दुख होता है सर! ये बेचारे पंछी किस तरह...