by Major Krapal Verma | Aug 15, 2023 | स्नेह यात्रा
एक पल मैं और शीतल एक दूसरे को आंखों में घूरते रहे हैं। शीतल के और मेरे मन में उठी कामी टीस किसी नफरत और निराशा में परिणत होती लगी है। शीतल के चेहरे पर बिखरा आह्लाद, आरक्त गालों से रिसता लावण्य और आंखों में खजाने बने इरादे सभी छोड़ते लगे हैं और उसका चेहरा जर्द पीला...
by Major Krapal Verma | Aug 14, 2023 | स्नेह यात्रा
“बट .. श्याम?” मैंने जैसे शीतल के मुंह पर चप्पल दे मारी हो। “हर बार श्याम को क्यों बीच में घसीट लाते हो?” चिढ़ कर शीतल ने पूछा है। “इसलिए कि .. कि .. वो तुम्हारा मीयां है।” “दैट इज डिफरेंट!” शीतल ने बेशर्मी से ही कहा है।...
by Major Krapal Verma | Aug 14, 2023 | स्नेह यात्रा
बाहर पतोहरी चटकी है। उसके घिघियाते गले की चीत्कार में किसी खतरे का संदेश है। कोई अनधिकार मेरे कमरे की ओर बढ़ने की चुपचाप चेष्टा में संलग्न पतोहरी ने देख लिया है और निर्लिप्त भाव से मुझे आगाह कर देना प्राकृतिक कर्ज की अदायगी लगा है। बाहर अंधेरा घिर आया है। मैं आज जिस...
by Major Krapal Verma | Aug 14, 2023 | स्नेह यात्रा
“आप इंस्पेक्टर राना से मिल चुके हैं?” मुक्ति ने पूछा है। “नहीं! उसके बाप से मिला था। उस बूढे खुरैल गीदड़ सिंह से ..” “तब तो काम बन गया होगा। वास्तव में मिस्टर शेर सिंह ..” वी के ने बीच में बात काट श्रेय लपक लेना चाहा है। “साला...
by Major Krapal Verma | Aug 10, 2023 | स्नेह यात्रा
.. देखो इसे साला चोर .. देखो इसे साला रंडी का भड़ुआ और देखो इसे ये अकर्मण्य और समाज का घाती है। निकालो इसे बाहर .. मारो इसे जूतों से .. ठूंस दो जेल में .. भेजो काला पानी .. निकालो इसे गधे पर बिठा कर! इनकी सवारी ..!” एक लंबी कतार है जिसमें काला मुंह किए गधों पर...
by Major Krapal Verma | Aug 7, 2023 | स्नेह यात्रा
“दो मिनट मिलेंगे?” मैंने नवीन से मांग की है। “ओके!” कह कर बे मन नवीन मेरे साथ लॉन में बाहर निकल आया है। “नवीन! मैं फंस गया हूँ!” मैंने सीधी बात सामने रक्खी है। “लिमिट पार करोगे तो ..” “नवीन! तू भी यही सोचता है कि...