by Major Krapal Verma | Sep 8, 2023 | स्नेह यात्रा
“काम शुरू करो!” कल्लू ने तैश में आकर हुक्म जारी किया है। कस्सी, कुदाल थामे लोगों में मात्र एक सिहरन दौड़ गई है पर हाथों की खोदने की सामर्थ्य नहीं जागी है। मैं जान गया हूँ कि अब भी वो हतप्रभ किसी चमत्कार के घटित हो जाने की शंका का निवारण नहीं कर पाए हैं।...
by Major Krapal Verma | Sep 4, 2023 | स्नेह यात्रा
अस्त होता चंद्रमा मेरे पस्त इरादों को उभारता लगा है। गोधूलि की आभा जैसा प्रकाश भी तिमिर बन जाएगा, सब अंधकारमय हो जाएगा, नदी और किनारे सभी घिल्लमिल्ल हो कर आपस में मिल जाएंगे तो मेरा क्या होगा? किनारे पर लम्बा बिछा मैं किसी आदि शक्ति को याद करने लगा हूँ। किसी चमत्कार...
by Major Krapal Verma | Aug 22, 2023 | स्नेह यात्रा
सूखी जीभ ने मुंह में अटक कर बताया है कि एक चिकट थूक का थक्का अंदर गले तक जम कर बोलती बंद कर गया है। मैंने तनिक उलम कर अंजली भर पानी मुंह में सूंत गरगराया है ताकि अंदर का थक्का घोलायित होकर मेरी जान छोड़ दे। यमुना का पानी स्वादिष्ट लगा है। लगा है इस पानी में अनेकानेक...
by Major Krapal Verma | Aug 20, 2023 | स्नेह यात्रा
गहराता घनीभूत अंधेरा आज मुझे अभिन्न अंग लग रहा है। मैं इसी अंधेरे की सुरंग में सुरक्षित आगे लपका जा रहा हूँ। पैरों में मुझे बहुत दूर तक ले जाने की सामर्थ्य एकाएक भर गई लगी है। मन मेरे साथ है और ये सजीला पल कोई अनमोल अनुभव समेटता लग रहा है। वही जोशोखरोश जो आम तौर पर...
by Major Krapal Verma | Aug 17, 2023 | स्नेह यात्रा
“मुक्ति!” “सर!” “मैं देहली जाना चाहता हूँ!” मैंने भर्राए कंठ से ही मांग जैसी की है जिस पर मैं अपना अधिकार खो बैठा हूँ। “अब संभव नहीं सर!” मुक्ति ने संयत स्वर में कहा है। “क्यों? मैं कोई ..?” मैं अब हांफ रहा...
by Major Krapal Verma | Aug 16, 2023 | स्नेह यात्रा
बाहर मचे हू-हल्ला ने मेरी बेहोशी तोड़ी है। मैं कोई भयंकर आक्रमण जैसा आता देख रहा हूँ। पब्लिक का अथाह पारावार मुझ पर उमड़ता सा आगे बढ़ रहा है – दांत पैनाए, नाखून निकाले, चीखता चिल्लाता लगा है मेरा मुंह नोच-नोच कर कोई तालाब पोखर बना देगा! “सर!”...