by Major Krapal Verma | Jun 2, 2022 | स्नेह यात्रा
“अगर ऐसे ही पहेली बुझाता रहा तो मुझसे खूब सुनेगा!” मैंने अपना निर्णय दे दिया है। “एक बार और हो जाए?” श्याम ने मेरी आंखों में पुन: विश्वास खोजा है। “हो जाए!” अबकी बार मैंने पूर्ण रूपेण श्याम को अपनी बाँहों में कस लिया है। मेरा कद समय...
by Major Krapal Verma | May 24, 2022 | स्नेह यात्रा
अनमना सा मैं बानो के पीछे पीछे चल रहा हूँ। मुझे अपने कृत्यों पर तनिक शर्म आ रही है। बानो की बात से मैं सहमत नहीं हूँ। न जाने क्यों हमेशा मन अपने आप को दोषी मानने लगता है और कहता है – ये अमर प्रणय नहीं है दलीप, ये तो वासना है। वरना सोचो यों आलिंगन बद्ध दो प्राणी...
by Major Krapal Verma | May 22, 2022 | स्नेह यात्रा
संगीत लहरी मर गई है और हम सभी सोफों पर टांगें पसारे दम ले रहे हैं। मैं सोच रहा हूँ – ये सब तो तृप्त हो चुके हैं। ये कितने भाग्यशाली हैं जो मेरी तरह की किसी घुटन का शिकार नहीं हैं। “बोर ..! बानो ने चीख कर मेरे विचार का खंडन कर दिया है। “एक दम बोर...
by Major Krapal Verma | May 16, 2022 | स्नेह यात्रा
मुझे फिल्म का कथानक और अभिनय सारगर्भित लगे हैं। अत: आत्मा के कोमल भावों में भाग दौड़ मची है। मैं अपने आप को कसौटी पर लगा रहा हूँ। कोई विलुप्त सी, महीन सी और एकदम कोमल सी डोरी मुझे वर्तमान से लाकर बांध रही है ताकि मैं अपने गिर्द घिरी समस्याओं के दायरे में मनन करूं और...
by Major Krapal Verma | May 14, 2022 | स्नेह यात्रा
शहर की सड़कें अंधाधुंध ट्रैफिक से भरी हैं। हर चौराहे पर पांच दस मिनट हरी बत्ती के इंतजार में गंवा देना खल जाता है और सामने खड़े पुलिस के आदमी पर रोष आने लगता है। गुमनाम इसे ‘सरेआम बदतमीजी’ कह कर पुलिस के आदमी का कार्टून गाड़ी की विंड स्क्रीन पर खींचने लगता...
by Major Krapal Verma | May 12, 2022 | स्नेह यात्रा
“कहां जा रहे हो?” भारी-भरकम आवाज में बाबा ने पूछा है। स्वर बाबा के कमरे से उठकर शीशे की तहों को छानकर और अन्य अनगिनत रुकावटों को पार करके मुझ तक पहुँचा है। इस स्वर में आज मुझे बदलाव का आभास हुआ है। शायद इसमें इतनी गरिमा, उतना अधिकार और बिसात आज नहीं है...