स्नेह यात्रा भाग दो खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग दो खंड तीन

एक निराशाजनक वातावरण बनता जा रहा है। सभी मुझे अब सशंक निगाहों से भेदे दे रहे हैं। इनके लिए मैं अब बेगाना बन चुका हूँ। काम और निष्ठा की बातें आज किसी की समझ में नहीं आतीं। अगर अभी मैं उठ कर कह दूं – एक विराट सभा रामलीला ग्राउंड में बुधवार को होगी। हम अपने अधिकार...
स्नेह यात्रा भाग दो खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग दो खंड दो

मुझे लगा है – मैं एक नए स्थान पर आ गया हूँ। अपना ही घर द्वार मुझे आज फिर से अपना लगने लगा है। घर के सारे नौकर चाकर मेरी चाकरी में जुट गए हैं। सभी का मत है – छोटे सरकार के बिना ये घर खाने को आता है। मैं फिर से यहां बहारें ला देना चाहता हूँ। फिर उन्हीं...
स्नेह यात्रा भाग दो खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग दो खंड एक

जेल के बाहर जोर जोर से नारे लगाए जा रहे हैं। लगता है लोगों के ठट के ठट पहुंचे हों। आज हम लोग जेल से छूट रहे हैं। मैं और शीतल जी बहुत खुश हैं। शीतल जी बार बार अपने चश्मे के शीशे साफ करके अपनी घबराहट और उत्सुकता दोनों को दबा रहे हैं। उनके पतले महीन चेहरे पर कुछ हीन भाव...
स्नेह यात्रा भाग दो खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग एक खंड पंद्रह

नर्स ने आकर वार्निंग सुनाई है – ज्यादा बोलना इनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। मैं हंस पड़ना चाहता था पर रुक गया हूँ। नर्स का गंभीर चेहरा और उसपर फैली एक अजीब सी मासूमियत मुझे इंप्रेस कर गई है। मैं सभी बंधन तोड़ने की शक्ति रखता हूँ पर पता नहीं क्यों ममता और...
स्नेह यात्रा भाग दो खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग एक खंड चौदह

“क्यों बेटे? रीता से ..?” “नहीं चाचा जी! ऐसी कोई बात नहीं है। यहां मुझे जरूरी काम है।” “देखो बेटे! तुम्हारा इन बेकार के कामों से सरोकार रखना निहायत ही गलत है।” “और मसूरी जाकर आप की बेटी को खुश करना ..?” “रीता का और...
स्नेह यात्रा भाग दो खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग एक खंड तेरह

मैं ज्यादा छानबीन करने के मूड में नहीं हूँ। चुपचाप एक अध-फटे से थैले में कुछ गुप्त पोटलियां अपने हाथों में भिचे चला आया हूँ। भीड़ टूट पड़ी है। अपनी अपनी खुराक लेकर सभी लौट गए हैं। अब एक बहुत बड़ा संयम स्वत: ही लौट आया है। मैंने भी अपनी तीव्र इच्छा को कत्ल कर दिया है...