by Major Krapal Verma | Jul 16, 2022 | स्नेह यात्रा
घर में एक खुशी की लहर दौड़ गई है। बाबा ने अनुराधा से भी ज्यादा रॉनी और टॉनी को दुलारा है, चूमा है, ऊपर से नीचे तक बार बार निरखा परखा है और दोनों को आगोश में लेकर खूब कलेजा ठंडा किया है। दोनों बच्चे थोड़े से आश्चर्य चकित होकर अपने बूढ़े नाना को परखते रहे हैं और फिर...
by Major Krapal Verma | Jul 14, 2022 | स्नेह यात्रा
मैंने चोर नजरों से उसके चेहरे को घूरा है। सोफी के सफेद दांत और लाल लाल होंठ इस तरह पसर गए हैं जैसे गंगा के किनारों के बीच बिखरे सफेद गोल गोल पत्थर। मैं छलांग लगाना भी चाहता हूँ और नहीं भी। अनुराधा ने फिर मुझे पकड़ लिया है। अब वो दोनों मिल कर हंसने लगी हैं। मैंने अपनी...
by Major Krapal Verma | Jul 11, 2022 | स्नेह यात्रा
मुझे एयरपोर्ट अनुराधा को लेने जाना है – ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन एक नयापन है कि एक नई लड़की आ रही है। इसलिए मैंने आज खास तौर पर चुनकर कपड़े पहने हैं। हो सकता है वो मेरे ही जीवन में आ रही हो, मेरे लिए ही आ रही हो और .. मैं उसके लिए ही बना हूँ! ये मैं मेरी और...
by Major Krapal Verma | Jul 10, 2022 | स्नेह यात्रा
घबराया श्याम घर पर मेरी तलाश में आ गया है। मेरे सामने रुआंसा सा चेहरा बनाए खड़ा है। कोई बात है पर वो उसे उगलना नहीं चाहता। “कुछ फूटो भी – बात क्या है?” मैंने रुआब से पूछा है। “बे बात तो तू जानता है! धंधा जाता रहा! अब ..” “बस...
by Major Krapal Verma | Jul 8, 2022 | स्नेह यात्रा
अकेला इंसान कब तक जी सकता है? सामाजिक प्राणी होने के नाते उसे समाज में ही रहना पड़ता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा! “इन्हीं में मिल जाओ दलीप!” एक हारी सी आवाज मुझे पिछले किनारे से पुकार रही है। लेकिन मैं मुड़ कर देखना नहीं चाहता। सोच रहा हूँ कुछ नए दोस्त...
by Major Krapal Verma | Jul 5, 2022 | स्नेह यात्रा
मैं बाबा की बात समझ रहा हूँ फिर भी चुप हूँ। मैं पक्ष या विपक्ष में बोलना नहीं चाहता। अचानक बाबा की आंखों में निराशा के चित्र अंकित होने लगते हैं। मेरे हार जाने पर उन्हें हार्दिक दुख होने लगता है। मैं यह सब सह नहीं पा रहा हूँ। एक चतुर चितेरे की तरह बाबा ही बात पलट देते...