by Major Krapal Verma | Jul 30, 2022 | स्नेह यात्रा
“अब तुम चाहे परिवर्तन लाओ या प्रगति – मैं छूटा!” बाबा बोले हैं और उठ गए हैं। मेरा मन बल्लियों उछल पड़ा है। प्रगति, परिवर्तन और क्रांति मिल कर एक ऐसे शब्द सागर का सृजन कर रहे हैं जिसमें मैं तुरंत कूद पड़ना चाहता हूँ। अपना स्थाई स्थान बना कर कुछ श्रेय...
by Major Krapal Verma | Jul 29, 2022 | स्नेह यात्रा
“तुमने बनी बात क्यों बिगाड़ी?” गंभीर स्वर में बाबा ने मुझे पूछा है। बाबा की नजरों में मैं मुजरिम हूँ। एक बागी हूँ और एक सर चढ़ा उनका बेटा जिसे प्यार दे दे कर उन्होंने खुद ही बिगाड़ लिया है। बाबा की खामोश निगाहें मुझसे कई सवाल पूछ रही हैं। और मैं एक अदम्य...
by Major Krapal Verma | Jul 27, 2022 | स्नेह यात्रा
मैं उठा हूँ और एक ही सांस में, एक ही लंबी उछांट में सारी सीढ़ियां उतर गया हूँ। लंबी लंबी डगें मार कर मैं बाहर आ गया हूँ। कई जलते बुझते चेहरे देख कर भी मैं अपनी लगाम मोड़ नहीं पाया हूँ। मुझे कोई भय नहीं है। एक मन का विकार है और एक चाह सी है जो मुझे यहां खींच लाई है।...
by Major Krapal Verma | Jul 25, 2022 | स्नेह यात्रा
रोड पर पहरा देते मजदूरों से त्यागी जी ने अंदर जाने की अनुमति ले ली है। मजदूरों को हमेशा की तरह त्यागी जी का लिबास देख भरोसा हो गया है। त्यागी जी अपनी पहली सफलता पर प्रसन्न हैं। सरपीली और अति विषैली निगाहों से उन्होंने मुझे बैठने से पहले घूरा है। मेरे और त्यागी जी के...
by Major Krapal Verma | Jul 22, 2022 | स्नेह यात्रा
“विकसित होने का विकल्प क्या है?” “स्वाबलंबन!” कहकर सोफी मेरा अवलोकन करती रही है। वो मुझे किसी सांचे में ढालने की कोशिश कर रही है। मुझे किसी निहित दिशा में अग्रसर होने को कह रही है। मेरा दिमाग ये सारी बातें पकड़ नहीं पा रहा है। लेकिन चाहकर भी...
by Major Krapal Verma | Jul 18, 2022 | स्नेह यात्रा
“मैं .. काम ..?” और मैं अपने आप को काम के साथ कहीं भी नहीं जोड़ पाया हूँ। पल भर स्कूल और कॉलेज के जमाने को मुड़ कर देखा है जिसे अभी अभी मैं छोड़ कर चला आ रहा हूँ। वहां कौन काम करता है? थोड़ी बहुत कुंजियां रट कर पास होना मेरे बाएं हाथ का खेल था और पास होने...