by Major Krapal Verma | Sep 12, 2022 | स्नेह यात्रा
तटस्थ रहने के प्रयास में मैंने हर बार उमड़ते अल्हाद को दबोच दिया है। मन ही मन एक गायत्री मंत्र जैसे उच्चारणों को दोहराता इन उपजती संगीन परिस्थितियों को परिवर्तित कर निष्प्रह रह सकने की इच्छा अभी भी मरी नहीं है। मैं अब कुछ बनने जा रहा हूँ। मेरा बचपन छंट गया है और अब...
by Major Krapal Verma | Sep 7, 2022 | स्नेह यात्रा
दिल्ली में आते ही राजनीतिक परिवेश में मैं मिल सा जाता हूँ। लाइसेंस के चक्कर में चार पांच विधान सभा के मेंबरों तथा राज्य सभा के जाने माने कर्णधारों से मुलाकात करनी पड़ी है। यहां बातों के पुलिंदे, भारी भरकम और गूढ़ रहस्यों में लिपटी बातों के छल्लेदार हिलते डुलते छोर हैं...
by Major Krapal Verma | Sep 5, 2022 | स्नेह यात्रा
बंबई पैसे वालों की है और पैसे वाले ही यहां टिक सकते हैं। श्याम अब समझ गया है और यह भी समझ गया है कि बाहर निकल कर किस तरह गम गायले से काम लेना होता है। सन एंड सेंड में और दिल्ली के स्टार होटलों में फर्क साफ दिखाई देता है। यहां के लोग क्रिया कलापों में इस तरह खुल जाते...
by Major Krapal Verma | Sep 3, 2022 | स्नेह यात्रा
अबकी बार मुझे 440 वोल्ट का शौक लगा है। मैं स्तब्ध सा उसे देखता रहा हूं। मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा। वो अब भी अपने सुडौल हाथों में ट्रे संभाले मेरे सामने खड़ी है। रंग गोरा, बदन भरा भरा, मोहक सा रूप, एक मोहक दृश्य के सिवा कुछ और नहीं लग रहा है। मन में न कोई इच्छा और न...
by Major Krapal Verma | Sep 1, 2022 | स्नेह यात्रा
आगरा जमीन का डील हो गया है। मथुरा आगरा के बीच जहां रिफाइनरी की योजना है उससे चार मील के फासले पर कई एकड़ जमीन का फैलाव है। श्याम तो अब भी कह रहा है कि हमें जमीन फरीदाबाद, बल्लभगढ़ या गुड़गॉंव रोड पर सस्ती मिलेगी। लेकिन यहां फैक्टरी डालने का मेरा अपना ही विचार है। हवाई...
by Major Krapal Verma | Aug 30, 2022 | स्नेह यात्रा
अपनी योजना को फलीभूत करने के ध्येय से मैं और श्याम काम में जुट गए हैं। हमारे सामने कितने काम हैं। किस तरह एक काम दूसरे से बंधा है और पर पूरक लगता है – ये मैं और श्याम जानते हैं। पहला काम फैक्टरी का सौदा आसान नहीं! दूसरा जनता ग्रुप ऑफ मिल्स का लाइसेंस लेना तो...