स्नेह यात्रा भाग चार खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग चार खंड तीन

साक्षात्कार के लिए बोर्ड की संरचना मैंने लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्तियों को बुलाकर की है। बोर्ड का कमरा एक मोहक कचहरी सा लग रहा है। इस कमरे में सब कुछ नया है – फर्नीचर, पंखे, कारपेट और यहां तक की दीवारें भी। मैनेजर चुनने का ये तरीका नया है। पर इस नए पन में पुरानापन...
स्नेह यात्रा भाग चार खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग चार खंड दो

शायद श्याम यह नहीं जानता कि मैं मुक्तिबोध के बारे में सब कुछ जानता हूँ। “मैंने सुना है कि वो मजदूरों को ..?” “हां वह मजदूरों का चहेता है और वो इसलिए कि वो खुद कंगाली काट चुका है।” “लेकिन उसका रेकॉर्ड बताता है कि वो एक ..?”...
स्नेह यात्रा भाग चार खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग चार खंड एक

“भइया ये तो कहते हैं कि मुझे भी ..” अनु ने मेरे पास बैठते हुए प्रस्ताव रक्खा है। मैं जानता हूँ कि अनु और उसके बच्चे बहनोई साहब के साथ चले जाने को आतुर हैं। उनका गहरा संबंध उन्हीं के साथ बनता है और मैं एक भिन्न संज्ञा हूँ जिसकी अब परिभाषा बदल गई है।...
स्नेह यात्रा भाग चार खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग तीन खंड पंद्रह

हर दिन एक छोटा सा पल लगता है। सारे दिन लगा कर भी काम एक आधा इंच ही खिसक पाता है। मजदूरों की भरती में और जूनियर स्टाफ के चयन में इतनी कठिनाई है ये मैं अब सही अंदाजा लगा पा रहा हूँ। “ये चिट्ठी गृह मंत्री की है। सामने एक हस्त लिखित चिट पसर जाती है। मैं गौर से पढ़ता...
स्नेह यात्रा भाग चार खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग तीन खंड चौदह

शीतल चोट खाई नागिन सी बलबला कर उठ खड़ी हुई है। सर्पीली और विषैली मुसकान से आवेष्टित मुख मंडल को सहज उन्माद सेद सा गया है। वो मेरी दी गई रकम की आभारी नहीं – जैसे नाउम्मीद हुई हो। कठोर स्वर में वह बोली है – रकम लौटा दूंगी! मैं एक लंबी उबासी लेने में पूरा बदन...
स्नेह यात्रा भाग चार खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग तीन खंड तेरह

शीतल तनिक रुकी है ताकि वो मुझ पर बात की प्रतिक्रिया देख कर आगे बात करें। मैं इस तरह की कहानियॉं देख, सुन और महसूस कर चुका हूँ। लेकिन शीतल अब भी मुझे वही मनमौजी दलीप समझ रही है। मैंने बात को काट कर समाप्त करने की गरज से बेहद उबाऊ स्वर में पूछ लिया है। “कितने पैसे...