by Major Krapal Verma | Dec 10, 2022 | स्नेह यात्रा
रात दिन की दौड़ भाग करने के बाद मैं दिए गए काम कर पाया हूँ। अधिकारी वर्ग की मदद, पुलिस वालों की उत्सुकता और ग्रामीणों का सहयोग तथा उत्साह सराहनीय कहा जा सकता है। पत्रकारों की कतारें मुझे प्रश्नों के प्रेतों से बार बार हतोत्साहित कर गई हैं। हर कोई पूछता है कि .....
by Major Krapal Verma | Dec 7, 2022 | स्नेह यात्रा
“डांस करोगे?” उसने पूछा है। “मैं ..? न न .. हां हां ..!” “कम ऑन ..!” कहकर वह मुझे डांसिंग फ्लोर पर साथ ले थिरकने लगी है। एक अजीब सा उत्साह उसमें भरा है। “तुम अब भी अकेले हो?” “हां ..!” “क्यों ..?”...
by Major Krapal Verma | Dec 5, 2022 | स्नेह यात्रा
मेरे स्वागत में ऐवरेस्ट, लिप्सा और अन्य कई सहेलियां खड़ी मिली हैं। एक से एक मोहक मुसकान मेरे ऊपर वार उतार कर वेटरों को भेंट कर दी गई है और एक से एक नरम गरम हाथ मेरे हाथों में फंस फंस कर कुछ कम्यूनिकेट करता रहा है। “दलीप दी ग्रेट! आइए!” कह कर ऐवरेस्ट ने...
by Major Krapal Verma | Dec 1, 2022 | स्नेह यात्रा
मैं ऐवरेस्ट की ओर मुड़ा ही था कि मुक्तिबोध ने इशारे से सचेत करके बताया है – ट्रंक कॉल! मौत जैसी बजती घंटी पर मैं कितना खीज गया हूँ। जोर से फोन उठा कर मैंने कहा है – हैल्लो! अब भी मैं क्रुद्ध हूँ। “दलीप ..!” एक सरस अजान आवाज किसी लड़की की है।...
by Major Krapal Verma | Nov 24, 2022 | स्नेह यात्रा
“आप ने जूते या चप्पल क्यों नहीं पहने?” मैंने रूपसी लिप्सा से पूछा है। लिप्सा अचानक मेरी उठी जिज्ञासा पर तनिक मुसकुराई है। उसके लाल होते गाल मुझे एक अनाम सा निमंत्रण दे गए हैं। लिप्सा गोरी, सुंदर, छांट कद की अच्छी पढ़ी लिखी युवती है। उसने पल भर कहीं शून्य...
by Major Krapal Verma | Nov 19, 2022 | स्नेह यात्रा
नामों को अगर मैं उलट पलट कर याद करूं, मनन करूं तब भी शायद कोई संबंध या अर्थ न जोड़ पाऊंगा। एक दम अटपटे नाम, अटपटे वस्त्र और सपाट सा व्यवहार कोई अर्थ संप्रेषित नहीं करता। हां! एक निश्छल आत्मीयता जरूर टपक रही है जो इंसान को इंसान समझने का इशारा बड़े ही मोहक ढंग से कर...