by Major Krapal Verma | Dec 27, 2022 | स्नेह यात्रा
“मैं बनाऊंगी और – तुम पीओगे? हूँ .. लंबू!” सोफी ने मुझे डांट कर गरियाना शुरू किया है। लंबू – मुझे एक मोहक सर्वनाम लगा है। सोफी के मुंह से झरते केतकी के फूल और कांटे अंतर तक वेधते कामदेव के सायक हैं जो एक नाग पाश में मुझे बांध लेना चाहते हैं!...
by Major Krapal Verma | Dec 25, 2022 | स्नेह यात्रा
नदी के दोनों तट साफ दिखाई दे रहे हैं। बीच मैं बहती जलधार मानो दो भुजाओं के बीच आरक्षित एक धरोहर हो – लग रही है। जल प्रवाह भी सजग सा हुआ लगा है। आस पास की गीली जमीन से अंदर पानी में उगे शैवालों से, सीपी-घोंघों के बदन से और पार पर विश्राम करते कछुओं के नथनों से...
by Major Krapal Verma | Dec 23, 2022 | स्नेह यात्रा
“क्या है?” मैंने घुस पुस आवाज में पूछा है। “का-का – प्रणय लीला!” सोफी अबोध बालिका जैसी बैठी रही है। मेरा भी अर्धांग गरमाने लगा है। मैं भी अब सूखी पत्तियां रौंद डालना चाहता हूँ। सोफी के चेहरे को इस तरह घूरने लगा हूँ मानो अभी दांत गढ़ा कर...
by Major Krapal Verma | Dec 17, 2022 | स्नेह यात्रा
मैं और सोफी हाथों में हाथ डाले एक उपराम भाव से कैंप में निकले हैं। जगह जगह पर जलती आग, कच्चे और पीले प्रकाश के अहाते में बैठे कुछ नग जैसे गिना जाती है। रात की स्तब्धता तहस नहस हो गई है क्योंकि एक मधुर सी संगीत लहरी वातावरण में भरने लगी है। “चलो! बैंड...
by Major Krapal Verma | Dec 14, 2022 | स्नेह यात्रा
“एक बार और …?” मैंने मांग की है। सोफी ने अपने गुलाबी अधर प्रेषित कर मौन धारण कर लिया है। बात करने से प्यार कर पवित्र प्रवाह रुक जाता है और भावनाएं दूषित हो जाती हैं – यही सोच कर मैं भी नहीं बोला हूँ। सफेद और सुगंधित सोफी का बदन, नरम और गरम,...
by Major Krapal Verma | Dec 12, 2022 | स्नेह यात्रा
फिर एक चुप्पी ने हमें समेट सा लिया है। मैं सोच कर भी कोई बात नहीं जोड़ तोड़ पा रहा हूँ जिससे बात आगे चले! “कब आए?” सोफी ने पूछने के साथ साथ रकसैक जमीन पर पटक दिया है – बड़ी बेरहमी के साथ। “मैं ..! बस कोई एक सप्ताह हुआ है।” “क्यों...