स्नेह यात्रा भाग पांच खंड दस

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड दस

बचे छह दिन में सोफी के साथ जिया हूँ। खाद्य समस्या, बेकारी की समस्या, फैलता प्रदूषण और घटते चारित्रिक स्तर आदि विषयों पर लंबी-लंबी वार्ताओं में सोफी ने और मैंने मिलकर योगदान दिया है। हमारे विचारों में एक विकट सामंजस्य है और इरादों में बला की दृढ़ता। सोफी मुझे अन्य औरतों...
स्नेह यात्रा भाग पांच खंड दस

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड नौ

मैंने ऐवरेस्ट के होंठों का अवलोकन किया है। कोई जहरीला पदार्थ उन होंठों पर पुता सा लगा है। मेरा मन ही नहीं हुआ है कि कुछ करूं। वो ललक, वो चाह, वो प्रमाद और पागलपन नहीं कर पा रहा जो पहली रात छा गया था। सोफी के साथ उपजा था और सोफी के अधर …? उफ …! “क्यों...
स्नेह यात्रा भाग पांच खंड दस

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड आठ

“मन की गतियां हैं – ऊर्ध्व और अधः गति। ये गतियां अगर हम जान जाएं तो ये उठाई जा सकती हैं और उठने पर मानव सामान्य स्तर से ऊपर उठ जाता है। भरण पोषण का चिंतन दाहक है पर आवश्यक भी। अगर इस चिंतन का स्तर उठ जाए तो ये दाह खा नहीं पाता।” लगा है तमाम भीड़...
स्नेह यात्रा भाग पांच खंड दस

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड सात

“लेकिन हम कैसे विश्वास करें?” “आप सभी इस कैंप में भाग ले सकते हैं।” मैंने बेबाक ढंग से कहा है। मैं अपनी जीत और मास्टर जी की हार पर हंस रहा हूँ। सारी भीड़ का तनाव रिस सा गया है। जो आक्रोश उनके मनों में भर दिया गया था अब भूमिगत हुआ लग रहा है।...
स्नेह यात्रा भाग पांच खंड दस

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड छह

“मिटता कौन नहीं है! अगर लड़ाई न भी हो तो अमरौती किसने खाई है! अगर किसी श्रेष्ठ कार्य में जान जाए तो बुरा क्या? जो मजा लड़ने वाले जान जोखिम में डाल कर उठा जाते हैं उससे न लड़ने वाले वंचित रह जाते हैं। जो उल्लास, जो खुशी और जो गर्व लड़ने से उगता है वो सहज...
स्नेह यात्रा भाग पांच खंड दस

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड पांच

टेंट मुझे एक घिरी चारदीवारी लगी है जहां मैं खुला रण क्षेत्र छोड़ कर पलायन कर आ छुपा हूँ। मेरा अपना अज्ञान और हीनता अंदर से झकझोड़ रही हैं और इन असहज पलों की कुंठा मैं झेल नहीं पा रहा हूँ। सोफी से यों कट जाना, पलट जाना और उसे भूल जाना संभव नहीं लग रहा है। शायद अन्य...