स्नेह यात्रा भाग छह खंड एक

स्नेह यात्रा भाग छह खंड एक

मुझे लगा है कि मैं दिल्ली की हर गली से वाकिफ हूँ और हर व्यक्ति मुझे यहां पहचानता है। वास्तव में अखबार में छपे फोटो, मेरा मिल चलाने का तौर तरीका और अपने घर को अस्पताल और लाइब्रेरी में बदलने की खबर ने दिल्ली के निवासियों के दिल में मेरे लिए एक इज्जत सी बिठा दी है। जो भी...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड एक

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड पंद्रह

पालम पर खड़े-खड़े मुझे अकेलापन खाए जा रहा है। सुबह के चार बजे हैं। मैं परिचित प्राकृतिक स्वस्थ स्थितियों से भी आज जुड़ना नहीं चाहता हूँ। बे मन सा उदास खड़ा हवाई जहाजों से भरा रन वे इस तरह देख रहा हूँ जैसे कोई बगुलों से भरा मरुस्थल हो और ये बगुले किसी अनाम मौत पर...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड एक

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड चौदह

“मैं भी चलूं?” शीतल हमारा पीछा नहीं छोड़ना चाहती। “नहीं!” “क्यों?” शीतल ने कमान जैसी भौंहों की प्रत्यंचा खींच कर पूछा है। “इसलिए कि …” मैं रुका हूँ। “कबाब की हड्डी …?” “हां!” “पर...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड एक

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड तेरह

शीतल तीन गिलासों में व्हिस्की डाल कर बर्फ से भर लाई है। मेरा प्यासा मन उन गिलासों में जा डूबा है। एक ही घूंट में मैं सारा गिलास पी जाना चाहता हूँ ताकि मजा आ जाए। अंदर का दाह धुल जाए और अनभोर में उगती वासना को मैं भूल जाऊं! “चियर्स! चायर्स!” इन बोले शब्दों...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड एक

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड बारह

“यहीं ऑफिस के पास मैंने छोटा सा ठिकाना बना लिया है।” “बहुत मोहक जगह है!” सोफी ने पहली बार प्रशंसा की है। मैं त्राहि-त्राहि मन से उसे सराहना चाहता हूँ। पर ऐसा नहीं कर पाया हूँ। अब भी मेरी प्रतिक्रिया किसी अदृश्य नियम के तहत हुक्म देती रहती है।...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड एक

स्नेह यात्रा भाग पांच खंड ग्यारह

“मेरे साथ चलो, दिल्ली छोड़ दूंगा!” मैंने पूछा है। “चलो!” सोफी सहमत हो गई है। मैं खुश हूँ। लगा है लंबी जुदाई की अवधी थोड़ी छोटी करने में मुझे सफलता मिली है। मैं और सोफी दो जाने व्यक्तियों की तरह ही यात्रा का आनंद उठाते रहे हैं। सोफी ने ज्यादा...