स्नेह यात्रा भाग छह खंड सात

स्नेह यात्रा भाग छह खंड सात

“तुमने बुलाया और हम चले आए! सच्ची, बहुत सताया है तुमने!” “शीतल ..! मैं ..” “आगोश में लेकर बात करो ना?” “श्याम के साथ तुम्हारा ..?” “हां हां! हुआ है। लेकिन मैं बिकी तो नहीं हूँ?” “लेकिन .. शीतल ..”...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड सात

स्नेह यात्रा भाग छह खंड छह

“क्यों?” मैंने इस तरह पूछा है जिस तरह कोई जुड़ा तारतम्य काट डाला हो। “इसलिए – तुम्हारे पास पैसा है और अक्ल है, मेरे पास अक्ल है और पुल” “पुल ..?” मैं जैसे समूचे ज्ञान से परिचित होना चाहता हूँ। “हां पुल ..!” नवीन...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड सात

स्नेह यात्रा भाग छह खंड पांच

नवीन सामने आ कर जैसे मुकाबले में डट गया है। एक बेशकीमती सूट, लगी भड़कीले रंगों वाली टाई, जेब में करीने से लगा रुमाल और इत्र की उभरती खुशबू में लिपटा वो आकर्षक लग रहा है। “हैलो प्रिंस!” उसने मेरे पुराने नाम से संबोधित किया है। “हैलो! वैलकम...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड सात

स्नेह यात्रा भाग छह खंड चार

“आप की हो गई?” मैंने भी उसी से पूछा है। “नहीं!” तनिक शरमा कर उसने उत्तर दिया है। आरक्त गालों की छटा मोहक बन गई है। अन्य सभी ने एक दूसरी को नोचा-खोंचा है और सामने वाली ने बाजू वाली के कंधे में दांत गाढ़ दिए हैं। “ओई मां!” कह कर बाजू...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड सात

स्नेह यात्रा भाग छह खंड तीन

“ये कौन चाकरी है बे?” मैंने गहक कर पूछा है। “चाकरी नहीं सेवा है। इन झुग्गियों से बंध कर ही चाकरी का मोह काट पाया हूँ।” “क्या काट मारी है प्यारे! तुम जीत गए ..” मैंने जैसे नवीन का छुपा इरादा दबोच लिया है। “आओ तुम्हें अपने स्वयं...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड सात

स्नेह यात्रा भाग छह खंड दो

“ये हमारी भूल थी!” मैंने बानी को विश्वास दिलाया है। “अब जी लूंगी!” कहकर बानी ने आंखों के आंसू पी लिए हैं। एक उमड़ती हूक और सुबकी रोक कर शब्दों में बदल दी है। “गम नहीं दलीप! मैं तो सोचती रही थी कि ..” “क्या?” “तुमने...