by Major Krapal Verma | Apr 13, 2023 | स्नेह यात्रा
“हां! काम करना शर्म की बात नहीं है!” “काम करना तो पूजा करना है!” “काम में स्वर्गीय आनंद आता है!” आदि इत्यादि उत्तर गिनने का रिहर्सल मैं पहले मुक्ति के साथ कर चुका था अतः बोलता चला गया हूँ। अचानक श्याम की शादी और पार्टी याद आ गई है!...
by Major Krapal Verma | Apr 8, 2023 | स्नेह यात्रा
“हेलो श्याम!” मैंने ही खैरियत पूछी है। “हेलो सर!” श्याम औपचारिक ढंग से ही बोल पाया है। “मुबारक हो! कब ..?” “कल शादी है!” “रिसेप्शन?” “सब कुछ कल ही है। शीतल को भी छुट्टी नहीं मिल रही है और मैं भी...
by Major Krapal Verma | Apr 6, 2023 | स्नेह यात्रा
“बस लगे हैं और सुनो! मैंने यूथ रैली पी एम के यहां ले जाने का बंदोबस्त कर लिया है। तुम सोमवार को आ जाओ!” “मैं ..? नवीन .. पर .. यार .. वो ..” मैं कोई बहाना ढूंढ रहा हूँ। “नो बहानेबाजी! ओके देन .. मंडे!” टेलीफोन अचानक बंद हो गया है।...
by Major Krapal Verma | Apr 4, 2023 | स्नेह यात्रा
“अगर बताऊं तो आप हंसेंगे!” “नहीं! बताओ!” मैंने आग्रह किया है। “चिड़िया फांसना सहज है।” कह कर मुक्तिबोध तनिक लजा गया है। मैं अट्टहास की हंसी हंस गया हूँ। लगा है मुक्तिबोध मेरे सामने ऊंचाइयों से गिर कर फर्श पर आ पड़ा है। “आम...
by Major Krapal Verma | Apr 1, 2023 | स्नेह यात्रा
“गुड मॉर्निंग! क्या हुआ मुक्ति!” मैंने बड़े ही आत्मीय ढंग से पूछा है। मुझे क्रेंक टूटने का गम नहीं क्यों कि इसकी बारीकी का अंजान मैं समझने में समर्थ नहीं हूँ। एक महान खुशी ने मुझे लबालब नाक तक भर दिया है और वो खुशी उपजी है मुक्ति बोध को एक मिस्त्री की...
by Major Krapal Verma | Mar 29, 2023 | स्नेह यात्रा
बाहर की मात्र हवा के स्पर्श से मैंने भांप लिया है कि अब चार बज गए होंगे। फिर आकाश पर फीके तारा मंडल को देखा है – लगा है ये हंस कर विदाई मांग रहा हो और रात की बात उनके लिए कोई खास महत्व न रखती हो। मैं कार में बैठते ही निश्चय कर पाया हूँ कि सीधा फैक्टरी चलूंगी।...