स्नेह यात्रा भाग छह खंड तेरह

स्नेह यात्रा भाग छह खंड तेरह

“हां! काम करना शर्म की बात नहीं है!” “काम करना तो पूजा करना है!” “काम में स्वर्गीय आनंद आता है!” आदि इत्यादि उत्तर गिनने का रिहर्सल मैं पहले मुक्ति के साथ कर चुका था अतः बोलता चला गया हूँ। अचानक श्याम की शादी और पार्टी याद आ गई है!...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड तेरह

स्नेह यात्रा भाग छह खंड बारह

“हेलो श्याम!” मैंने ही खैरियत पूछी है। “हेलो सर!” श्याम औपचारिक ढंग से ही बोल पाया है। “मुबारक हो! कब ..?” “कल शादी है!” “रिसेप्शन?” “सब कुछ कल ही है। शीतल को भी छुट्टी नहीं मिल रही है और मैं भी...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड तेरह

स्नेह यात्रा भाग छह खंड ग्यारह

“बस लगे हैं और सुनो! मैंने यूथ रैली पी एम के यहां ले जाने का बंदोबस्त कर लिया है। तुम सोमवार को आ जाओ!” “मैं ..? नवीन .. पर .. यार .. वो ..” मैं कोई बहाना ढूंढ रहा हूँ। “नो बहानेबाजी! ओके देन .. मंडे!” टेलीफोन अचानक बंद हो गया है।...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड तेरह

स्नेह यात्रा भाग छह खंड दस

“अगर बताऊं तो आप हंसेंगे!” “नहीं! बताओ!” मैंने आग्रह किया है। “चिड़िया फांसना सहज है।” कह कर मुक्तिबोध तनिक लजा गया है। मैं अट्टहास की हंसी हंस गया हूँ। लगा है मुक्तिबोध मेरे सामने ऊंचाइयों से गिर कर फर्श पर आ पड़ा है। “आम...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड तेरह

स्नेह यात्रा भाग छह खंड नौ

“गुड मॉर्निंग! क्या हुआ मुक्ति!” मैंने बड़े ही आत्मीय ढंग से पूछा है। मुझे क्रेंक टूटने का गम नहीं क्यों कि इसकी बारीकी का अंजान मैं समझने में समर्थ नहीं हूँ। एक महान खुशी ने मुझे लबालब नाक तक भर दिया है और वो खुशी उपजी है मुक्ति बोध को एक मिस्त्री की...
स्नेह यात्रा भाग छह खंड तेरह

स्नेह यात्रा भाग छह खंड आठ

बाहर की मात्र हवा के स्पर्श से मैंने भांप लिया है कि अब चार बज गए होंगे। फिर आकाश पर फीके तारा मंडल को देखा है – लगा है ये हंस कर विदाई मांग रहा हो और रात की बात उनके लिए कोई खास महत्व न रखती हो। मैं कार में बैठते ही निश्चय कर पाया हूँ कि सीधा फैक्टरी चलूंगी।...