स्नेह यात्रा भाग सात खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग सात खंड तीन

काम करना, हाथ बटाना और सीखना सिखाना मुझे मोहक लग रहा है। अचानक किचन से आती एक आवाज मुझे चौंका गई है। “सॉरी! मैं पहले न आ सकी!” आवाज पहचानने में मैंने देर नहीं लगाई है। अचानक मैं किचन में पहुंच गया हूँ। अनु ने जान कर एक डब्बा खोल कर अपने आप को व्यस्त कर...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग सात खंड दो

“कुल दो एकड़ जमीन पर बनी है। नीचे भी दो मंजिल हैं।” कुमार साहब ने बच्चों की तरह मुझे समझाया है। चलते फिरते मुझे समझ आया है कि मेनहट्टन जो न्यूयॉर्क का मुख्य भाग है अंदर से ये पोला हो। न्यूयॉर्क में दौड़ती रेलें और कार तथा पानी के परिवहन की योजना अद्भुत लगी...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग सात खंड एक

कुमार दमपत्ती मुख्य शहर से करीब पचास किलोमीटर दूर एक अत्याधुनिक बस्ती में एक अकेले घर में रहता है जो यहां के हिसाब से अच्छा स्तर कहा जा सकता है। घर में चार बेडरूम हैं और बांट में मुझे भी एक मिल गया है। एक बैठक, एक पढ़ाई का कमरा तथा रसोई घर और खाने का कमरा सभी बड़ी...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग छह खंड सोलह

मैंने कैरिज के हर कोने की तलाशी ली है। हो सकता है सोफी यहीं कहीं छिपी हो। उसका कोई सामान सट्टा पड़ा हो या कोई कंगन-मुंदड़ी ही छोड़ गई हो ताकि मैं जान सकूं – लेकिन हर कोने से निराशा ही मुझ पर हंसी है। मैं अंदर की घुटन जब नहीं पी पाया हूँ तो बाहर निकल कर कैरिज के...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग छह खंड पंद्रह

अपने जीवन में मैंने अनायास ही काम के क्षण बढ़ा देने का निर्णय कर लिया है। एक दिन जब मैं मिल के मध्य में स्थित प्रयोगशाला में पहुंचा हूँ तो डॉक्टर पुनीत ने मुझे बताया है – हमने नए फॉरमूले तलाश करने की खोज में कदम उठाए हैं। “सबूत ..?” मैंने जैसे डॉक्टर...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड तीन

स्नेह यात्रा भाग छह खंड चौदह

किसी पश्चिमी धुन पर हम सब खड़े हो कर नाचने लगे हैं। मुक्तिबोध और शीतल का जोड़ा थिरकता हुआ बहुत ही मोहक लग रहा है। शीतल ने अपना सर मुक्तिबोध के कंधों पर टिका दिया है और लगातार मुझे घूर रही है। मैं एक अधबूढ़ी औरत का साथ दे रहा हूँ – जो बड़ा ही हास्यास्पद लग रहा...