स्नेह यात्रा भाग सात खंड नौ

स्नेह यात्रा भाग सात खंड नौ

सोफी का चेहरा एक लजाई सी भावना में डूब गया है। मैं अपने कहे कठोर वाक्य पर तनिक सकपका गया हूँ। खाना खा कर हम कॉटेज के बाहर छोटे लॉन में आ कर बैठ गए हैं। ताजा हवा के झोंकों ने हमारा स्वागत किया है। “कितना अच्छा लगता है यहां?” सोफी ने बैठते हुए पूछा है।...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड नौ

स्नेह यात्रा भाग सात खंड आठ

सुलगती आग की गर्मी जैसे पश्चाताप बनकर मेरे पसीने छुड़ाने लगी है। मैं शायद अपनी हर कमी पूरी करने का संकल्प कर लेना चाहता हूँ। एक भी पल व्यर्थ में नष्ट न करने का व्रत उठा लेना चाहता हूँ और अपने देश के आलस्य को पकड़ कर सटक जाना चाहता हूँ। ये जितनी भी चाहें हैं – सब...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड नौ

स्नेह यात्रा भाग सात खंड सात

“बाप रे बाप! इतनी किताबें?” मैंने आश्चर्य से पूछा है। “ज्यादातर इनमें हिन्दुस्तान से ही संबंध रखती हैं।” सोफी ने बताया है। “क्यों?” मैंने कौतूहल से पूछा है। “मैं रिसर्च कर रही हूँ न!” सोफी ने तनिक लजाते हुए कहा है।...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड नौ

स्नेह यात्रा भाग सात खंड छह

“चलो!” सोफी ने लजाते हुए कहा है। “अब तो चलना ही पड़ेगा!” कह कर मैंने अनु की ओर देखा है। “अच्छी लग रही है न?” अनु ने मुझे पूछा है। “एक दम सुपर्ब!” मैंने स्वागत में अंगूठे और कलमे वाली उंगली का छल्ला बना कर कहा है।...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड नौ

स्नेह यात्रा भाग सात खंड पांच

दूसरे दिन जब मैं तीसरी गाड़ी ले कर अपने काम के लिए निकला हूँ तो तनिक नर्वस सा लगा हूँ। पता नहीं गाड़ी ठीक भी चला पाऊंगा या नहीं। और काम होगा भी कि नहीं। लेकिन अपने ये कमजोर मनोभाव अपने ऊंचे मनोबल के नीचे दबोचे मैं सारा विश्वास समेटे अकेला ही निकल पड़ा हूँ। गलती करने...
स्नेह यात्रा भाग सात खंड नौ

स्नेह यात्रा भाग सात खंड चार

“आप नोबल प्राइज भले ही जीत लें, धन माल का अंबार लगा लें पर वो संतोष, वो मानसिकता और वो गर्व से उन्नत सीना कभी करके चलना संभव न होगा।” “आप मरे जग प्रलय!” संक्षेप में महंगा सिंह बोला है। “व्यक्तिगत स्वार्थ ही हमें खा रहा है। आपाधापी का...